Posts Tag: व्यंग्य कविता 20 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sakhi 5 Sep 2024 · 2 min read स्त्री ना जाने क्यों ?? मुझसे ही हर सवाल किया जाता है, हर दफा मुझे ही क्यों ?? कठखड़े में खड़ा किया जाता है | जो रंग हो गोरा मेरा तो... Hindi · Samajik Kavita · कविता · व्यंग्य कविता · स्त्री 1 219 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 19 May 2024 · 1 min read चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता जनता को , ठगता जाऊँ चाह नहीं मुझे, बनकर मैं चमचा खुद को ही , मैं भरमाऊँ चाह नहीं मुझे, बनकर मैं अंध... Hindi · नेता · व्यंग्य कविता 1 271 Share Anand Kumar 15 May 2024 · 1 min read उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो। मेरी कलम से... आनन्द कुमार तेरे मन की बात करें तो हम अच्छे हैं, अपने मन की बात करें तो कच्चे हैं। वाह गजब की बात हो करते नेताजी, तुम... Hindi · Political · कविता · व्यंग्य कविता 298 Share भवानी सिंह धानका 'भूधर' 27 Mar 2024 · 1 min read एक कविता उनके लिए कमी को दुरुस्त करना अलग बात है जता कर ठगना अलग बात है दिल में कोई बात हो तो कह देना वाज़िब है किंतु कितनी ठेस पहुँचेगी ये सोचकर न... Hindi · व्यंग्य कविता 272 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 Dec 2023 · 1 min read बुढ़िया काकी बन गई है स्टार साल में एक बार आती है उस बुढ़िया के चेहरे पर मुस्कान जब बड़े बड़े लाउडस्पीकर से होने लगते हैं प्रचार होने लगते हैं भाषण और सुनाई देने लगती है... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 1 396 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 17 Sep 2023 · 1 min read जी करता है , बाबा बन जाऊं - व्यंग्य जी करता है बाबा बन जाऊं बाबा बनके प्रॉपर्टी बनाऊं अपना खुद का बिज़नेस चलाऊं जी करता है , बाबा बन जाऊं जी करता है , बाबा बन जाऊं धर्म... Hindi · व्यंग्य कविता 2 506 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 13 Aug 2023 · 1 min read साक्षर महिला साक्षर महिला साक्षरता अभियान के तहत साक्षर होती एक महिला से मैंने पूछा, “साक्षर होने से आपको क्या लाभ होगा ?” उत्तर मिला, “मैं अपने बच्चों को ठीक से पढ़ा... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता · साक्षर · सोच 408 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 1 Aug 2023 · 1 min read गांधीवादी (व्यंग्य कविता) व्यंग्य कविता गांधीवादी सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद वे पक्के गाँधीवादी हैं। तब तक कोई भी काम नहीं करते जब तक कि गुलाबी, हरी, नीली, पीली नोटों पर छपी गाँधी... Hindi · निर्लज्जता · भ्रष्टाचार · विसंगति · व्यंग्य कविता · स्वार्थ 1 402 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 1 Aug 2023 · 1 min read मूल्य वृद्धि व्यंग्य कविता मूल्य वृद्धि पेट्रोल के मूल्य में बीस पैसे और डीजल के मूल्य में दस पैसे की वृद्धि हुई । इसकी आड़ में अन्य जीवनोपयोगी आवश्यक वस्तुओं के मूल्य... Hindi · पेट्रोल · मँहगाई · राजनीति · व्यंग्य कविता · स्वार्थ 336 Share Dr MusafiR BaithA 4 Jul 2023 · 1 min read चौकीदार की वंदना में / MUSAFIR BAITHA चोर बड़ा बरजोर कहे मैं चौकीदार चोर शातिर औ' मुंहजोर कहे मैं चौकीदार चोर मचाए शोर कहे मैं चौकीदार चोर चिल्लाए जोर जोर कहे मैं चौकीदार चोर ऐलान करे गला... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 694 Share Page 1 Next