Posts Tag: व्यंग्य कविता 21 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ओनिका सेतिया 'अनु ' 9 Oct 2024 · 1 min read कोई मिठाई तुम्हारे लिए नहीं बनी ..( हास्य व्यंग कविता ) गुलाब जामुन बेशक काला होता है , मगर भीतर से तो मीठा होता है । इसीलिए गुलाब जामुन से तुम्हारा चरित्र मेल नहीं खाता । काजू कतली ,बर्फी ,रसगुल्ला ,... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 2 89 Share Sakhi 5 Sep 2024 · 2 min read स्त्री ना जाने क्यों ?? मुझसे ही हर सवाल किया जाता है, हर दफा मुझे ही क्यों ?? कठखड़े में खड़ा किया जाता है | जो रंग हो गोरा मेरा तो... Hindi · Samajik Kavita · कविता · व्यंग्य कविता · स्त्री 1 55 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 19 May 2024 · 1 min read चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता जनता को , ठगता जाऊँ चाह नहीं मुझे, बनकर मैं चमचा खुद को ही , मैं भरमाऊँ चाह नहीं मुझे, बनकर मैं अंध... Hindi · नेता · व्यंग्य कविता 1 125 Share Anand Kumar 15 May 2024 · 1 min read उल्लू नहीं है पब्लिक जो तुम उल्लू बनाते हो, बोल-बोल कर अपना खिल्ली उड़ाते हो। मेरी कलम से... आनन्द कुमार तेरे मन की बात करें तो हम अच्छे हैं, अपने मन की बात करें तो कच्चे हैं। वाह गजब की बात हो करते नेताजी, तुम... Hindi · Political · कविता · व्यंग्य कविता 120 Share भवानी सिंह धानका 'भूधर' 27 Mar 2024 · 1 min read एक कविता उनके लिए कमी को दुरुस्त करना अलग बात है जता कर ठगना अलग बात है दिल में कोई बात हो तो कह देना वाज़िब है किंतु कितनी ठेस पहुँचेगी ये सोचकर न... Hindi · व्यंग्य कविता 103 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 Dec 2023 · 1 min read बुढ़िया काकी बन गई है स्टार साल में एक बार आती है उस बुढ़िया के चेहरे पर मुस्कान जब बड़े बड़े लाउडस्पीकर से होने लगते हैं प्रचार होने लगते हैं भाषण और सुनाई देने लगती है... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 1 233 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 17 Sep 2023 · 1 min read जी करता है , बाबा बन जाऊं - व्यंग्य जी करता है बाबा बन जाऊं बाबा बनके प्रॉपर्टी बनाऊं अपना खुद का बिज़नेस चलाऊं जी करता है , बाबा बन जाऊं जी करता है , बाबा बन जाऊं धर्म... Hindi · व्यंग्य कविता 2 371 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 13 Aug 2023 · 1 min read साक्षर महिला साक्षर महिला साक्षरता अभियान के तहत साक्षर होती एक महिला से मैंने पूछा, “साक्षर होने से आपको क्या लाभ होगा ?” उत्तर मिला, “मैं अपने बच्चों को ठीक से पढ़ा... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता · साक्षर · सोच 236 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 1 Aug 2023 · 1 min read गांधीवादी (व्यंग्य कविता) व्यंग्य कविता गांधीवादी सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद वे पक्के गाँधीवादी हैं। तब तक कोई भी काम नहीं करते जब तक कि गुलाबी, हरी, नीली, पीली नोटों पर छपी गाँधी... Hindi · निर्लज्जता · भ्रष्टाचार · विसंगति · व्यंग्य कविता · स्वार्थ 1 251 Share Dr. Pradeep Kumar Sharma 1 Aug 2023 · 1 min read मूल्य वृद्धि व्यंग्य कविता मूल्य वृद्धि पेट्रोल के मूल्य में बीस पैसे और डीजल के मूल्य में दस पैसे की वृद्धि हुई । इसकी आड़ में अन्य जीवनोपयोगी आवश्यक वस्तुओं के मूल्य... Hindi · पेट्रोल · मँहगाई · राजनीति · व्यंग्य कविता · स्वार्थ 210 Share Dr MusafiR BaithA 4 Jul 2023 · 1 min read चौकीदार की वंदना में / MUSAFIR BAITHA चोर बड़ा बरजोर कहे मैं चौकीदार चोर शातिर औ' मुंहजोर कहे मैं चौकीदार चोर मचाए शोर कहे मैं चौकीदार चोर चिल्लाए जोर जोर कहे मैं चौकीदार चोर ऐलान करे गला... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 552 Share *प्रणय* 19 Jun 2023 · 1 min read 👺 #स्टूडियो_वाले_रणबांकुरों_की_शान_में... 👺 #संशोधित_कविता ■ स्टूडियो वाले मीडिया के फ़र्ज़ी रणबांकुरों और पूर्वाग्रह-पीड़ित बड़बोले क़लमकारों की थोथी शान को सधिक्कार समर्पित...। 【प्रणय प्रभात】 "चैनल के बड़बोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी।... Hindi · फ्रीस्टाइल हास्य-व्यंग्य · राजनैतिक साहित्य · व्यंग्य कविता 1 250 Share *प्रणय* 5 Jun 2023 · 1 min read #उल्टा_पुल्टा #उल्टा_पुल्टा ■ कोई चुनाव आने को है 【प्रणय प्रभात】 "जुगनू के चरणों में तारे तारों की स्तुति चाँद करे। चंदा के पग धोए सूरज सूरज के पग यह सृष्टि गिरे।... Hindi · राजनीति · व्यंग्य कविता · हिंदुस्तान 1 311 Share *प्रणय* 4 May 2023 · 3 min read #व्यंग्य_काव्य #व्यंग्य_काव्य ■ जूतों का आत्म-कथ्य... 【प्रणय प्रभात】 हम भदरंगे हम कटे-फटे टूटे से हम अपनी किस्मत पर रूठे-रूठे से। हम वो जिनके हैं दाग़ बदन पर भारी, हम वो जिनकी... Hindi · व्यंग्य कविता · सम सामयिक · साहित्य · हिंदुस्तान 1 546 Share *प्रणय* 1 Mar 2023 · 1 min read ■ नई महाभारत.. #सामयिक_रचना ◆सिंहासन सब देख रहा है◆ 【प्रणय प्रभात】 चक्षुहीन धृतराष्ट्र मौन है ना जाने अब भीष्म कौन है? धर्मराज पाँसों में उलझे पांचाली के केश न सुलझे। अर्जुन गहन सोच... Hindi · राजनीति · विडम्बना · व्यंग्य कविता · सम सामयिक · हिंदुस्तान 1 3 457 Share *प्रणय* 1 Feb 2023 · 1 min read ■ काव्यमय उलाहना.... #मृतपूजकों_को_समर्पित ■ ये कहता. अगर बोल पाता तो....! 【प्रणय प्रभात】 "बंद करो यह रोना-गाना, घड़ियाली आँसू टपकाना। बेमतलब का शोर मचाना, जबरन का माहौल बनाना। बंद करो फौरन लफ़्फ़ाज़ी, बंद... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता · सम सामयिक · हिंदुस्तान 1 223 Share अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम' 21 Dec 2022 · 1 min read छन्न पकैया - छन्न पकैया - व्यंग्य छन्न पकैया - छन्न पकैया छन्न पे बैठा मोर नेता सारे खा रहे पेंशन झकझोर पेंशन झकझोर कि नीयत भरे न इनकी मुद्दों से भटकाते जनता को चुनाव के वक़्त... Hindi · लघुव्यंग्य · व्यंग्य कविता 3 488 Share Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya" 5 Dec 2022 · 1 min read मजदूर का स्वाभिमान पढ़ा लिखा हूं कम, मजदूर हूं बेबस लाचार हूं . दर्द मेरा कौन जाने, लोगों की नजरों में नाकाम हूँ . रहने खाने सोने का, सामान सारा मैं बनाऊं .... Hindi · आधुनिक कविता · कविता-हिन्दी · कविता/गीतिका · नारी व्यथा · व्यंग्य कविता 1 614 Share मृत्युंजय कुमार 4 Sep 2022 · 1 min read दुल्हों का बाजार आज दुल्हे बिकने लगे हैं दूल्हों के बाजार में ऑनलाइन व ऑफ़्लाइन दूल्हों के बाजार में सजधज के आज खड़े हैं दूल्हों के बाजार में लग रही है आज बोली... Hindi · कविता · व्यँग · व्यंग्य कविता 5 2 323 Share AJAY AMITABH SUMAN 14 Aug 2022 · 2 min read पलटू राम इस सृष्टि में बदलाहटपन स्वाभाविक है। लेकिन इस बदलाहटपन में भी एक नियमितता है। एक नियत समय पर हीं दिन आता है, रात होती है। एक नियत समय पर हीं... Hindi · कविता · राजनीति पर कविता · व्यंग्य कविता 2 1k Share VINOD CHAUHAN 14 Aug 2022 · 1 min read मैं आजाद भारत बोल रहा हूँ अफ़सोस है मैं आजाद भारत बोल रहा हूँ अफ़सोस है मैं..............….. मैने संकल्प लिया था, गरीबी को मिटाने का पर अफ़सोस न तो झुग्गी झोंपड़ियाँ कम हुई ना ही भूखों... Hindi · V9द चौहान · व्यंग्य कविता 5 4 499 Share