Posts Tag: रूपक 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid डॉ. शशांक शर्मा "रईस" 11 Jun 2024 · 1 min read कहां कहां ढूंढू तुझे मैं गज़लों में, चंद बातें यहां, चंद ख़्वाब हैं हँसते, मैं हूँ एक आवाज़, विचारों के अनंत सागर में!! कविता के गीत, सुरमयी धुन में सजाते, ह्रदय को मन मोह देते, रूह को... Hindi · कविता · ग़ज़ल · रूपक · शगुन 66 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read हँसी! बचपन की यादों की पोटली मिली जिसमें सम्भाल कर कई क़िस्से रखे थे और रखी थी मुस्कुराहट की कई लकीरें जो चेहरे पे दिखाई देती थी कभी रखा था सम्भाल... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · झूठ हँसी · मेटाफर · रूपक · हँसी 89 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read रोटी की क़ीमत! दिन भर तपता रहा धूप में, रात बिताई बारूद में झुलसकर, फिर भी नसीब ना हुई जिसे, दो वक्त की रोटी और नमक, उस से पूछो रोटी की क़ीमत, जिसने... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · गरीबी · रूपक · रोटी की क़ीमत 123 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 2 min read नन्ही भिखारन! सड़क किनारे रोशनी में बैठी कैसे देख रही टुकुर-टुकुर और कार आते ही लाल लाइट पर दौड़ती पूरे ज़ोर से उस कार के तरफ़ एक नन्ही भिखारन। नाम शायद उसे... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · नन्ही भिखारन · मेटाफर · रूपक 106 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read तस्वीर! घर के किसी कोने के दीवार पे टंगी, तस्वीर हूँ मैं, एक सुंदर तस्वीर। सुनहरे सुंदर फ्रेम मे ज़करी बेजान सी, मात्र शोभा बढ़ाने की चीज़। जो बोल नहीं सकती,... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · तस्वीर · दीवार पे तंगी · रूपक 141 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read मेरी पहचान! कौन हूँ मैं, मेरा परिचय क्या है? क्या मैं वो जो घुटने पे चल रही, या फिर दौड़ कर कुर्सी पकड़ रही? क्या मैं वो जो बस्ता लिए स्कूल जा... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · पहचान · रूपक 200 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read चाय की प्याली! प्यारी लगती सुकून देती, गरम गरम चाय की प्याली, मन को प्रसन्न कर जाती, ये सुबह की चाय की प्याली। मधुर रस में मन को डूबा जाती, एक एक घूँट... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · चाय की प्याली · रूपक 127 Share कविता झा ‘गीत’ 14 May 2024 · 1 min read मूरत रंग बिरंगी सुंदर मूरत, सजी धजी बेजान सी, क्या जाने किस घर जाएगी, ओढ़े कपट की परिधान सी। सजा कर ले जाएगा कोई, धर हाथ वचन खाएगा वो, जीने मरने... Poetry Writing Challenge-3 · 25 कविताएं · कविता · मूरत · मूरत की क़ीमत · रूपक 108 Share