कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए। लब पर दुआएं, आने से ना कतराए, कि उन्हें पूरा करने, खुद...
Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी