Posts Tag: प्रकृति 24 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Pankaj Bindas 2 Aug 2024 · 1 min read सावन गीत सावन की रिमझिम बारिश में नाचे मेरा तन- मन- मोर। मेघ- वेग से नभ आच्छादित वन में बेमन डाल चकोर तभी अचानक मेघ गगन से छँटे सो विधु दिखा हँसे... Hindi · कविता · गीत · प्रकृति · सावन 1 145 Share Bindesh kumar jha 20 Jun 2024 · 1 min read अहंकार अहंकार गगन के हृदय में अंकित सितारा अपनी यश-गाथा का विस्तार कर रहा, इतराकर सूरज से बैर किया है सूर्य की लालिमा मात्र से कहार रहा। अपनी सुंदर यौवन से... Hindi · अहंकार · कविता · जीवन · प्रकृति 206 Share Niharika Verma 14 Jun 2024 · 1 min read दिल कहे..! सूरज सा तेज पा लूं या चांद सी शीतल हो जाऊं , दिल कहे..तारों पर खूबसूरत आशियाना सज़ा लूं !! फूलों की महक ले लूं या फलों की मिठास चुरा... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · ख्याल · जीवन · प्रकृति · हिंदी 2 220 Share Bindesh kumar jha 9 Jun 2024 · 2 min read मैं ख़ुद डॉक्टर हूं" - यमुना मैं ख़ुद डॉक्टर हूं" - यमुना सदियों से यमुना और कारखानों के बीच के संबंध बिगड़ते जा रहे हैं। शायद वैश्वीकरण ने यमुना के उपकारों को भुला दिया है। यमुना... Hindi · प्रकृति · यमुना · लेख 174 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read शिवरात्रि प्रकृति की बारात लिए आज आई एक रात ये है माघ की महानिशा बदल देगी सारी दशा भर देगी ऊर्जा का नशा धरा से कैलाश तक हर और खुशी की... Hindi · प्रकृति · बारात · ब्याह · मंगल गीत · माघ 1 202 Share Madhu Shah 24 May 2024 · 1 min read होली बसंत ऋतु आते ही प्रकृति का उत्सव छाया धरती रंग बिरंगी हो आई नई कलियां नई फूल ले आई प्रकृति नए रंगों से सज आयी धरा दुल्हन सी लगती चलो... Hindi · उत्सव · प्रकृति · बसंत · सूर्यास्त 1 216 Share Madhu Shah 20 May 2024 · 1 min read प्रकृति का मातृ दिवस आज देखा है वात्सल्य सृजन करती प्रकृति को मिट्टी में जन्मे बीज को उसमें भी तो वात्सल्य भरा है देखो उन पहाड़ों को जो सृजित करते हैं पेड़ पौधे पोषते... Hindi · पंछी · प्रकृति · वात्सल्य · सृजन 1 137 Share Sûrëkhâ 15 May 2024 · 1 min read प्रकृति प्रकृति जिसका हमनें पतन किया आज वो कल से हमारे सजृन दाता रहे हैं जिन्हें हम अपने स्वार्थ के लिए काटते रहे कल वो ही हमारे आज फिर से प्राणदाता... Poetry Writing Challenge-3 · प्रकृति · प्रकृति प्रेमी कवि · प्राकृतिक संरक्षण · हमारी प्रकृति हमारा जीवन 125 Share Kirtika Namdev 13 May 2024 · 1 min read पिता और प्रकृति मूल प्रेरणा:- कितना दूर जाना होता है पिता से, पिता जैसा होने के लिए । — अज्ञेय (रचना:-) मैं हर रोज़ थोड़ा-थोड़ा सा दूर जाती हूँ पिता से, पिता जैसा... Poetry Writing Challenge-3 · अज्ञेय · जीवन · पिता · प्रकृति · मधुशाला 1 210 Share Shashank Mishra 8 May 2024 · 1 min read *प्राकृतिक संगीत* कुदरत का कण कण, हर ओर हर भाव भरा है गीतों से बिन शब्दों का संगीत बना रसखान भरा है गीतों से बूंदों का धरती पर गिरना, नदियों का कल... Hindi · कविता · गीत · प्रकृति 1 166 Share हिमांशु बडोनी (दयानिधि) 2 May 2024 · 1 min read ओ चंदा मामा! चंदा मामा, ओ चंदा मामा!, आप तो कितने प्यारे हो? चमक-दमक से भरे हुए, तुम तो जग के उजियारे हो। चंदा मामा, ओ चंदा मामा!, आप तो कितने प्यारे हो?... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · चंद्रमा · तुकांत कविता · प्रकृति · रात्रि वर्णन 1 163 Share हिमांशु बडोनी (दयानिधि) 16 Feb 2024 · 1 min read ऋतुराज रिमझिम फुहारों के गुज़रते ही, शीत की लहर का आगमन हुआ। शरद की बर्फीली हवाओं का, हर नगर व कस्बे तक भ्रमण हुआ। शीत के ऐसे ज़ुल्म को देखकर, यहाँ... Poetry Writing Challenge-2 · तुकांत कविता · प्रकृति · बसंत ऋतु · मनोभाव · मौसम परिवर्तन 4 238 Share Sangeeta Beniwal 6 Feb 2024 · 1 min read तुम तुम भी…। तुम्हें सौंपते हैं धरा पर अभी-अभी पनपी कोमल पत्ती की महक तुम भी सोंपना अगली पीढ़ी को इससे भी कोमल कोई स्वर या कोई लिपि संगीता बैनीवाल Poetry Writing Challenge-2 · आने वाली पीढ़ी · तुम्हें · प्रकृति · सौंपना 1 297 Share डॉ० रोहित कौशिक 6 Feb 2024 · 1 min read प्रकृति के स्वरूप वायु , अनल , भूमि, बहुतर, गगन, बादल - दल वर्षा कारक, जीवित को, मिलता , जीवन का अमृत जल, सब प्रकृति के रूप हैं।। इन्ही से , इन्हीं तक... Poetry Writing Challenge-2 · अभिनव_प्रयोग · जीवन दर्शन · जीवन मूल्य · प्रकृति · हमारी प्रकृति हमारा जीवन 1 261 Share साहित्य गौरव 25 Nov 2023 · 1 min read हे मानव! प्रकृति हे मानव! प्रकृति को तूने, कैसा दूषित कर डाला। सुंदर- स्वच्छ अवनी को तूने, प्रदूषित तत्वों से भर डाला। स्वच्छंद पवन अरण्य सघन, निरंतर तरनी की धारा को, तूने ही... Hindi · कविता · प्रकृति · हमारी प्रकृति हमारा जीवन 1 275 Share Sûrëkhâ 15 Jun 2023 · 1 min read प्रकृति *प्रकृति* जिसका हमनें पतन किया आज वो कल से हमारे सजृन दाता रहे हैं जिन्हें हम अपने स्वार्थ के लिए काटते रहे कल वो ही हमारे आज फिर से प्राणदाता... Poetry Writing Challenge · कविता · पर्यावरण संरक्षण · प्रकृति · साहित्यपीडिया · हमारी प्रकृति हमारा जीवन 3 1 243 Share Dhriti Mishra 13 Jun 2023 · 2 min read पर्यावरण और प्रकृति पर्यावरण और प्रकृति का मानव ने बनाया क्या ये हाल। आधुनिकता और नवीनीकरण के नाम पर चलने लगे अब उलट ही चाल कुछ सौ वर्ष हम पीछे जाएं जीवन सरलता... Poetry Writing Challenge · कविता · पर्यावरण · पर्यावरण दिवस · प्रकृति · विश्व पृथ्वी दिवस 323 Share ऋचा पाठक पंत 13 Jun 2023 · 1 min read मातृस्वरूपा प्रकृति अहा! प्रकृति हमें कितना कुछ देती है। और बदले में इसके कुछ भी न लेती है। करता मानव वर्ष भर शोषण दोहन इसका। विनिमय में यह 'मधुमास' प्रतिवर्ष देती है।... Poetry Writing Challenge · धरती · प्रकृति · माँ 428 Share *प्रणय प्रभात* 25 Mar 2023 · 1 min read #कुदरत_केरंग #कुदरत_केरंग ■ काले आसमान पर शुक्र और चांद एक संग ◆ जिसकी पड़ी निगाह, वही बोला "वाह" बीती रात आसमान में एक साथ नजर आए चंद्रमा और शुक्र। दिलकश नजारा... Hindi · अद्भुत अद्वितीय अकल्पनीय · धर्म संस्कृति · प्रकृति · महासंयोग 1 443 Share डॉ० रोहित कौशिक 2 Feb 2023 · 3 min read प्रकृति से हम क्या सीखें? कहानी## गाँव के किनारे एक तालाब था। उस तालाब पर सुबह और शाम के समय आस-पास के पेडों पर रहने वाले सभी पक्षी पानी पीने आते थे। मैं अपनी घर... Hindi · छोटी कहानी · प्रकृति · बाल कहानी · मेरी कलम से दिल तक · रोमांचित 436 Share *प्रणय प्रभात* 29 Jan 2023 · 1 min read ■ मौसमी दोहा #बासंती_दोहा "पर्ण हरित सब हो गए, नर्म पड़ गए शूल। अगवानी ऋतुराज की करें बसन्ती फूल।।" 【प्रणय प्रभात】 Hindi · चित्रण · दोहा · प्रकृति · बसंत 1 242 Share Shiva Awasthi 13 Jan 2023 · 1 min read आ जाओ न प्रिय प्रवास तुम नाच रहे हैं जंगल-जंगल, नैना बाँध स्वप्न के घुँघरू। पूछ रहे हैं कहाँ खिले हो, कौन डाल के नीचे ठहरूँ? सघन वनों के काहीपन में, खिल जाओ न प्रिय पलाश... Hindi · गीत · प्रकृति · प्रेम · प्रेमगीत 4 390 Share Shiva Awasthi 22 Sep 2022 · 1 min read दूब माली काका, माली काका! मुझे दूब की उम्र बताओ। दूब कहां बोता है कोई, प्यार सरीखी उग आती हैं। बागों की अनचाही बेटी, बेफिक्री में बढ़ जाती हैं। दूब नोचते... Hindi · गीत · प्रकृति · मानवीकरण · शिवा 4 276 Share DR ARUN KUMAR SHASTRI 8 Aug 2022 · 1 min read प्रकृति डा . अरुण कुमार शास्त्री , एक अबोध बालक - अरुण अतृप्त प्रकृति * भाव से भरी हुँ , मैं लेखिका हुँ कुछ शब्दों से , काव्य रचा करती हुँ... Hindi · कविता · प्रकृति · मकान् 297 Share