sp60 बुनियाद भावनाओं की
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बुनियाद भावनाओं की धस गई जमीन में
हम खड़े हैं खंडहर पर बस इसी यकीन में
समय बदलेगा हमारा हम निकल के आएंगे
इस जमाने को कभी अपनी व्यथा बताएंगे
जिंदगी का हिस्सा थे हम इसी घर की जान थे
थी हमारे दम से रौनक ऐसा इत्मिनान थे
लम्हे जिंदगी के कुछ साथ हमारे हैं
हम जिसके ही दम से ये उम्र गुजारे हैं
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तवsp60