sp145 काव्य जगत के
sp145 काव्य जगत के
*******************
काव्य जगत के नभ मंडल में रोज बड़े सम्मान हो रहे
कई सितारे जगमगा रहे जुगनू की कहां बिसात कहीं
गर किस्मत में लिखा है सूखा तालाब कहे किससे पीड़ा
सब ताल तलैया भी प्यासे होती है वहां बरसात नहीं
जलजला दिखाता है तेवर कहता है यह तो झांकी है
अपना जलवा दिखलाने को तूफान भी आना बाकी है
जिसकी मर्जी से खेला है वह कोई नहीं गलती करता
अंगुली उठाये उस पर दुनिया ऐसी वह चाल नहीं चलता
कब आना है कब आएगा होते इसके दिन रात नहीं
मुंह उठा के सूरज पर थूके मानव की यह औकात नहीं
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तवsp 145