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9 Nov 2024 · 1 min read

sp135 फेर समय का/ साथ नहीं कुछ

sp135 फेर समय का/ साथ नहीं कुछ
******************
फेर समय का गिला नहीं कुछ यदि सपनों को भूल गए
है दुनिया की यही रिवायत कुछ अपनों को भूल गए
@
एक ग्लोब में खुद को ढूंढो नहीं मिलेगा कोई निशां तक
बड़े-बड़े ये शहर दिख रहे जैसे नोक लगी पेंसिल की
@
बड़े विशाल गगन और धरती दिखलाते अस्तित्व सदा ही
और प्यार से चाहे जहां भी झाको वहीं मिले मनचाही सूरत
@
निर्मल अंतस में रहते हैं अनमोल वचन बन ईश कृपा
आनन्द मोक्ष सब संभव है यदि राम नाम निष्काम जपा
@
साथ नहीं कुछ जाने वाला हाथ नहीं कुछ आने वाला
छूट जाएगा सारा मेला इस मन को भरमाने वाला

उसी पंथ के सभी पखेरू छूना है आकाश अकेले
किसको कहां किधर जाना है कोई नहीं बतलाने वाला
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
ps135

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