sp120 कौन सी ऎसी/सच की कलम
sp120 कौन सी ऎसी/सच की कलम
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कौन सी ऎसी नदी है जिसका है साहिल नही
एक समंदर के सिवा इनकी कोई मंजिल नही
चुल्लू भर पानी बहुत है दोस्त हर खुद्दार को
आँख का पानी अगर मर जाय कुछ हासिल नहीं
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सच की कलम धैर्य की स्याही से नियति ने खुद ही जो लिख रखा है
समय चल रहा अपनी गति से वह खुद ही चल कर आएगा
काहे को निराश होना है काहे को हताश होना है
घट की जितनी क्षमता होती एक बूंद ना जादा आता
ऋषि अगस्त से मिली प्रेरणा पूरा सागर वहां समाता
ज्ञान सत्य का जिसे हो गया उसको कब उदास होना है
जिसको समझ में आया खेला नहीं हुआ वह कभी अकेला
काहे को हताश होना है कभी नहीं हमको रोना है
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
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