sp118 माता-पिता ने
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माता पिता ने अरमानों से पाला था
और कभी कोई उलाहना नहीं दिया
बच्चों को कभी बतलाया कभी नहीं
किसकी खातिर अपना ही घर बेचा था
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पत्थर से जो चोट लग रही उसकी पीड़ा नहीं है मुझको
पीड़ा इसकी दोस्त खड़ा है हाथ में पत्थर लिए हुए
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डॉक्टर //इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
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