sp 100 किस से मन की पीर *********************
sp 100 किस से मन की पीर
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किस से मन की पीर बताएं सुनने वाला कोई नहीं
कोई खबर न लेने आता सब अपनी दुनिया में मगन
इस पड़ाव पर हमको जीवन अपना खेला दिखा रहा
भटक रहे हैं हम जंगल में ढूंढ रहे हैं चंदनवन
भ्रामक सत्य लग रहे सारे भाव बन रहे हैं अंगारे
जिधर देखिए उधर हो रहा बस सत्ता का अभिनंदन
चलन हो गया पाला बदलो भौतिकता का युग आया
हो साहित्य या खेल जगत हो प्रतिभाएं करती क्रंदन
जो भी लिखा है वही मिलेगा मानो इसको यही नियति
होगी जय जयकार तुम्हारी विह्नस उठेगा मन कानन
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
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