sp, 129 शब्दों का तीर
sp, 129 शब्दों का तीर
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शब्दों का तीर निकला जुबां से कितनों के मन को भेद गया
शब्दों को वापस लेने से क्या सारे घाव भर जाएंगे
नासूर बनेंगे पीड़ा के रिसते ही रहेंगे बन के कसक
कुछ तो उपचार करो उनका कैसे निजात वह पाएंगे
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ईश का सर्वश्रेष्ठ उपहार राष्ट्र से हमको अपने प्यार
समर्पण करके अपने प्राण लिखेंगे एक नया इतिहास
मचलता है नस नस में ज्वार चुनौती हर हमको स्वीकार
चुकाएंगे हम इसका मोल बनाएगे हम इसको खास
हमारा भारत देश महान विश्व में है अनुपम स्थान
प्रेरणा हमको देते वेद युगों से हम गाते हैं गान
लगाते शत्रु अनेको घात मगर सारे खाते हैं मात
धधकते ज्वालामुखी अनेक उबलता नस नस में अंगार
सत्य की सतत कर रहे खोजकर्म में वाणी में है ओज
माँ ने दी तेज कलम की धार चुनौती हर हमको स्वीकार
समय ले रहा परीक्षा नित्य नहीं है हम इससे अनभिज्ञ
अनाम का हर निर्णय स्वीकार नियति का बहुत-बहुत आभार
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डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव