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8 Dec 2021 · 1 min read

ਗੁਲਾਮ

************ ਗੁਲਾਮ ***********
*****************************

ਮੈਂ ਅੱਜ ਵੀ ਆਜ਼ਾਦ ਦੇਸ਼ ਚ ਹਾਂ ਗੁਲਾਮ
ਨਾ ਹੀ ਹਾਸਿਲ ਹੋਇਆ ਸੋਚਿਆ ਮੁਕਾਮ

ਬੋਟੀ ਬੋਟੀ ਬੇਚ ਕੇ ਕਰ ਤਾ ਦੇਸ਼ ਕੰਗਾਲ
ਕਰਦਾਂ ਹਾਂ ਮੈਂ ਸਿਆਸੀ ਹਾਕਮਾਂ ਨੂ ਸਲਾਮ

ਦਿਨ ਓਹੀ ਸੀ ਚੰਗੇ ਜਦੋਂ ਸੀ ਫ਼ਿਰੰਗੀ ਦੰਗੇ
ਘਟੋ ਘੱਟ ਨਹੀਂ ਲਗਦੇ ਸੀ ਇੰਸਾਨੀ ਦਾਮ

ਖੱਤਮ ਹੋ ਗਿਆ ਦੁਨੀਆ ਚ ਪ੍ਰੇਮ ਮਿਲਾਪ
ਖਾ ਪੀ ਕੇ ਕਰ ਦੇਂਦੇ ਨੇ ਸਾਰਾ ਨਮਕ ਹਰਾਮ

ਸਿਆਸਤਦਾਨਾਂ ਨੇ ਕਰ ਦਿੱਤੇ ਨਿੱਕਮੇ ਕਿੱਤੇ
ਤਾਹੀਂ ਤਾਂ ਲਗਦੇ ਹਨ ਹੁਣ ਥਾਂ ਥਾਂ ਤੇ ਜਾਮ

ਮਨਸੀਰਤ ਆਜ਼ਾਦੀ ਤੋਂ ਚੰਗੀ ਸੀ ਗੁਲਾਮੀ
ਨਾ ਹੀ ਹੋਂਦੇ ਸੀ ਉਸ ਸਮਯ ਨਾਮ ਬਦਨਾਮ
******************************
ਸੁਖਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਮਨਸੀਰਤ
ਖੇੜੀ ਰਾਓ ਵਾਲੀ (ਕੈਥਲ)

Language: Punjabi
231 Views
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