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30 Oct 2021 · 1 min read

ਕਦੇ-ਕਦੇ

ਸਾਡਾ ਮਨ ਕਦੇ ਖੁਸ਼ ਤੇ ਕਦੇ ਉਦਾਸ ਹਿੱਸਾ ਹੈ।ਏ ਸਾਡੇ ਜੀਵਨ ਦਾ ਹਿਸਾ ਹਨ।ਇਸਨੂੱ ਲੈ ਕੇ ਲਿਖੀ ਗਈ ਕਵਿਤਾ’ਕਦੇ-ਕਦੇ’।
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ਕਦੇ-ਕਦੇ
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ਕਦੇ-ਕਦੇ ਮਨ,
ਬੁਝਿਆ ਬੁਝਿਆ,
ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।
ਮਨ ਹੀ ਮਨ,
ਹਂਜੂ ਰੋਂਦਾ ਹੈ।

ਕਦੇ ਤੇ
ਖਿੜਿਆ ਖਿੜਿਆ
ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ
ਤੇ ਕਦੇ ਤਾਂ
ਉਡਿਆ ਉਡਿਆ
ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ
ਖ਼ੂਨ ਦੇ ਹਂਜੂ
ਪੀਂਦਾ ਹੈ

ਕਦੇ ਕਦੇ ਮਨ,
ਖੁਸ਼ ਹੁੰਦਾ ਹੈ।
ਹੱਸਦਾ ਖੇਡਦਾ
ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ
ਫੁੱਲਾਂ ਵਰਗਾ
ਖਿੜਿਆ ਰਹਿੱਦਾ ਹੈ।

ਕਦੇ ਖ਼ੁਸ਼ੀ
ਤੇ ਕਦੇ ਗ਼ਮੀ
ਈਂਵੇ ਜੀਵਨ
ਹਿੱਲਦਾ ਡੁਲਦਾ
ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ
ਕਦੇ ਸਹਜ ਨਹੀਂ
ਰਹਿਂਦਾ ਹੈ

ਜਦੌਂ ਚੰਗਾ
ਹੇਵੇ ਸਮਾਂ
ਤਾਂ ਖੁਸ਼ ਹੋ ਜਾਵੋ
ਜਦੌਂ ਗ਼ਮੀ ਹੋਵੇ
ਤਾਂ ਚੁਪ ਹੋ ਜਾਵੋ
ਸਮਾਂ ਬੜਾ ਬਲਵਾਨ ਹੈ
ਸਬਰ ਕਰੋ
ਚਂਗਾ ਫਲ ਪਾਵੋ
——————-
ਰਾਜੇਸ਼’ਲਲਿਤ’
——————–

Language: Punjabi
10 Likes · 1 Comment · 307 Views
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