Vivek saswat Shukla Tag: विवेक शाश्वत शायरी 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Vivek saswat Shukla 29 Mar 2024 · 1 min read मैं समन्दर पीने की थी तमन्ना मेरी, कतरा भी पी नहीं पाया हकीकत में मैं,, ये फिजा,ये हवा,ये आसमां,देखता होगा,तो सोचता होगा,, पहले कैसा था,अब कैसा हो गया हूं मैं।। बहुत... Poetviveksaswat · Sher · Viveksaswatsher · विवेक शाश्वत शायरी · विवेक शाश्वत शुक्ल शेर 157 Share