मैं
समन्दर पीने की थी तमन्ना मेरी, कतरा भी पी नहीं पाया हकीकत में मैं,, ये फिजा,ये हवा,ये आसमां,देखता होगा,तो सोचता होगा,, पहले कैसा था,अब कैसा हो गया हूं मैं।। बहुत...
Poetviveksaswat · Sher · Viveksaswatsher · विवेक शाश्वत शायरी · विवेक शाश्वत शुक्ल शेर