विनय "बाली" सिंह Tag: कविता 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनय "बाली" सिंह 26 Jun 2020 · 1 min read मन की बात। *मन की बात....* जिसको देखो अपने मन की कहता है। मेरे मन के अन्दर कौन ठहरता है। भाई-बहन, पत्नी-बच्चे या मात-पिता, दादा-दादी हो चाहे कुछ यार-सखा। कोई नहीं जो मेरी... Hindi · कविता 2 3 434 Share विनय "बाली" सिंह 23 May 2020 · 1 min read बोलूँ क्या ? तुम बोलो, कुछ बोलूँ क्या ? राज हृदय का खोलूं क्या ? मन तुझको रब मान चुका है, मैं भी तेरा हो - लूँ क्या ? है, संदेह अगर तो... Hindi · कविता 1 1 399 Share विनय "बाली" सिंह 19 May 2020 · 1 min read बिन 'माँ' के संसार अधूरा रह जाता। अमृत से भरपूर सरोवर है 'माई'। कुदरत की अनमोल धरोहर है 'माई'। रिश्तों को रसदार बनाकर रखती है। 'माँ' ही घर में प्यार बनाकर रखती है। घाव लगे तो चुटकी... Hindi · कविता 2 1 389 Share