विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ Tag: घनाक्षरी 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2022 · 2 min read पिता पिता बन कर हम साया, मुझे चलना सिखाया, ईश सम पिता मेरे, वंदन स्वीकारिए। पढ़ लिख पाऊँ ज्ञान, बनूँ नेक बढ़े शान, बन कर मंदाकिनी, औगुण पखारिए। मार कर स्व... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · घनाक्षरी 3 9 438 Share