Vikas Kumar Srivastava Language: Hindi 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Vikas Kumar Srivastava 25 Nov 2023 · 1 min read कविता चलते नहीं रिश्ते दबाव से आदमी परेशान है स्वभाव से चलते---- माना बहुत कठिन है इसे निभाना सच्चाई यही है क्या इसे छिपाना कीमत बड़ी रिश्तों में चुकानी है तौले... Hindi 212 Share Vikas Kumar Srivastava 20 Dec 2022 · 1 min read तिनके का सहारा डुबते को तिनके का सहारा इसी में सारा जहां हमारा डुबते---- टिकी है दुनिया झूठ पे आप कहां जायेंगे रूठ के बिना छल के मिली कहां जीत है सदियों से... Hindi · कविता 1 187 Share Vikas Kumar Srivastava 25 Sep 2021 · 1 min read पेट की आग लगी हो पेट में आग तो कोई नही बुझाता है सही तो दूर रहा गलत राह भी कोई नही सुझाता है लगी...... उपाधि मिल जाती है जीवन के नाम पर... Hindi · कविता 232 Share Vikas Kumar Srivastava 24 Sep 2021 · 1 min read ईमान जो करेगा काम उसी का होगा नाम जो..... बनो बड़े ईमान से मिलेगी इज्जत जहान से कर्म है अपनी छोटी इसलिए दिक्कत देती है रोटी रूठ न जाय राम जो...... Hindi · कविता 1 273 Share Vikas Kumar Srivastava 19 Sep 2021 · 1 min read परवाह परवाह नहीं करता मैं अपने आप की क्यों कि मैं खाता हूं कमायी पाप की सच भी साथ छोड़ कर जा रहा है पाप धीरे धीरे करीब आ रहा है Hindi · शेर 1 275 Share Vikas Kumar Srivastava 3 Sep 2021 · 1 min read आत्मीय वंदना दुआ है इतनी भगवान से हंसते हंसते जाये इस जहान से दुआ.... एक पूजा अपने को अर्पित कर लूं कुछ खुशियां आंचल में भर लूं कुछ तारे तोड़ लूं आसमान... Hindi · कविता 2 399 Share Vikas Kumar Srivastava 2 Sep 2021 · 1 min read जींदगी की व्यथा आये हम बुरायी के ज़माने से तो क्या हर्ज है पाप कमाने से आये...... जींदगी लेती रही इम्तिहान इसी में है सब परेशान क्या कोई सपना देखे महान का गिर... Hindi · कविता 2 477 Share Vikas Kumar Srivastava 30 Aug 2021 · 1 min read ना नर में ना नर में राम रहा ना नारी में सीता पढ़ेगा कौन रामायण और कौन पढ़ेगा गीता ना...….. बन के रह गये हम पाप के पूजारी तो सभ्यता छुरे कैसे दुआरी... Hindi · कविता 474 Share Vikas Kumar Srivastava 29 Aug 2021 · 1 min read जींदगी ही मिली उधार की जींदगी ही मिली उधार की जरूरत है इसमे अभी सुधार की जींदगी....... कहे गये हम मानवता के पुजारी झूठ का सहारा है बने कैसे त्रिपुरारी नही रहे सच के पद... Hindi · कविता 3 284 Share