Dr. Vijendra Pratap Singh 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Dr. Vijendra Pratap Singh 2 Oct 2016 · 1 min read यथार्थ क्या साथ लाएं थे क्या साथ ले जाएंगे कहते अक्सर लोग जूठे लोग झूठा जीवन जीते लोग सब जानते हैं न जाने कितने अपूर्ण सपने अधूरी ख्वाहिशें असंख्य अनकही बातें... Hindi · कविता 1 330 Share Dr. Vijendra Pratap Singh 2 Oct 2016 · 2 min read अंदर का सच अंदर का सच (लघुकथा) बहुत ही सुसभ्य, संयंमित, व्यवहार कुशल इंसान था वो जिसके व्यवहार को साथी कर्मचारी बहुत ही सराहा करती थीं। संभवत: कार्यालय में ऐसा कोई भी नहीं... Hindi · कविता 1 1 500 Share Dr. Vijendra Pratap Singh 2 Oct 2016 · 1 min read अपने बाप से बाप कहूंगा अपने बाप को बाप कहूंगा अमर दलित समुदाय का एक नौकरीपेशा व्यक्ति था। वह जब भी अपने समाज के लोगों के सामने होता उन्हें पढ़ने लिखने और संघटित हो संघर्ष... Hindi · लघु कथा 1 439 Share Dr. Vijendra Pratap Singh 2 Oct 2016 · 1 min read गौरैया बहुत जगह पढ़ा बहुत लोगों से सुना कि अब गौरैया नहीं दीखती नहीं दीखती अब गौरैया सन् 2011 के 30 अक्टूबर को मेरे घर जन्मी एक गौरैया मेरी पुत्री के... Hindi · कविता 404 Share