UPENDRA SINGH ALOK Tag: कविता 5 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid UPENDRA SINGH ALOK 18 Feb 2021 · 1 min read अघोषित नायक काश... प्रेमचंद आज तुम होते! सुनी सुनाई ना सुनकर अपनी आंखों देखते किसानों के सड़कों का कोहराम इच्छाधारी गिद्धों को हलिक की बदहाली, गरीबी पर घड़ियाली आंसू बहाते। और लालकिले... Hindi · कविता 268 Share UPENDRA SINGH ALOK 18 Feb 2021 · 1 min read मन की शांति पारिवारिक सामाजिक और मानसिक शान्ति के लिए धर्म स्थापित हुए। धर्म; यानी रिश्तों का अहसास धर्म अर्थात मानवीय कर्तव्यों का बोध; पता नहीं अनुयायियों में स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने... Hindi · कविता 1 421 Share UPENDRA SINGH ALOK 11 Sep 2018 · 1 min read अभिनंदन उनको मेरा अभिनंदन ।। दिया जिन्होंने अस्थि काट कर, मानवता हित अंग छाँट कर धड़कन में थी प्यार की बोली, वतन पे जिनका जीवन अर्पण । उनको मेरा अभिनंदन ।... Hindi · कविता 307 Share UPENDRA SINGH ALOK 10 Sep 2018 · 1 min read परिचय मेरा जनम हुआ है इस वतन के वास्ते मेरा जीना मरना है इस वतन के वास्ते । मेरा हबीब वतन है मेरा नसीब वतन, मेरी शान वतन है और मैं... Hindi · कविता 344 Share UPENDRA SINGH ALOK 6 Sep 2018 · 1 min read सरस्वती वंदना जय वाणी, वर दे कल्याणी. शोभित है वीणा पाणी में, सुधा बरसती है वाणी में, दानी है भुवन भर की माँ, तूँ भी माँग वर दे कल्याणी. जय वाणी, वर... Hindi · कविता 1 2 324 Share