त्रिलोक सिंह ठकुरेला 21 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid त्रिलोक सिंह ठकुरेला 23 Sep 2023 · 13 min read त्रिलोक सिंह ठकुरेला के कुण्डलिया छंद सोना तपता आग में, और निखरता रूप। कभी न रुकते साहसी, छाया हो या धूप।। छाया हो या धूप, बहुत सी बाधा आयें। कभी न बनें अधीर, नहीं मन में... Hindi 208 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 17 May 2023 · 1 min read नया सवेरा लाना तुम टिक टिक करती घड़ियाँ कहतीं मूल्य समय का पहचानो। पल पल का उपयोग करो तुम यह संदेश मेरा मानो ॥ जो चलते हैं सदा निरन्तर बाजी जीत वही पाते। और... Hindi 169 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 27 Mar 2023 · 1 min read चार तांका 1. जब से प्रीति मन के गांव बसी महके अंग मन-सितार बजे नये सपने सजे । 2, पीपल पात तालियाँ बजा रहे मुग्ध चिडिया सहसा गाने लगी उदासी जाने लगी... Hindi 139 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 27 Mar 2023 · 1 min read गंध गुणों की बिखरायें हे जगत- नियंता यह वर दो , फूलों से कोमल मन पायें । परहित हो ध्येय सदा अपना, पल पल इस जग को महकायें ।। हम देवालय में वास करें... Hindi 176 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 20 Aug 2022 · 1 min read मन को सुख से भरता देश मन को सुख से भरता देश । कहीं सघन वन- उपवन-बाग, कहीं नदी, सर, ताल, तड़ाग, हिमगिरि कहीं, कहीं पर रेत, कहीं मनोहर धानी खेत , कितना मनभावन परिवेश ।... Hindi 177 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 27 Apr 2022 · 1 min read खुशियों के गंधर्व खुशियों के गन्धर्व द्वार द्वार नाचे । प्राची से झाँक उठे किरणों के दल, नीड़ों में चहक उठे आशा के पल, मन ने उड़ान भरी स्वप्न हुए साँचे । फूल... Hindi · गीत 144 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 26 Apr 2022 · 1 min read हरसिंगार रखो मन के द्वारे पर खुशियों के हरसिंगार रखो। जीवन की ऋतुएं बदलेंगी दिन फिर जायेंगे, और अचानक आतप वाले मौसम आयेंगे, सम्बन्धों की इस गठरी में थोड़ा प्यार रखो। सरल... Hindi · गीत 125 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 24 Apr 2022 · 1 min read नारी विमर्श के दोहे नारी के उत्कर्ष का , बहुत हुआ गुणगान । क्या अब तक भी मिल सका , उसको समुचित मान । हाथ प्रेम की तूलिका, वर्ण पिटारी संग । जीवन में... Hindi · दोहा 265 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 24 Apr 2022 · 1 min read मुकरियाँ उससे सटकर, मैं सुख पाती। नई ताजगी मन में आती। कभी न मिलती उससे झिड़की। क्या सखि, साजन? ना सखि, खिड़की। जैसे चाहे वह तन छूता। उसको रोके, किसका बूता।... Hindi · कविता 279 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 23 Apr 2022 · 1 min read ऐसा वर दो भगवन् हमको ऐसा वर दो। जग के सारे सद्गुण भर दो॥ हम फूलों जैसे मुस्कायें, सब पर प्रेम सुगंध लुटायें, हम परहित कर खुशी मनायें, ऐसे भाव हृदय में भर... Hindi · बाल कविता 1k Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 23 Apr 2022 · 1 min read हे पिता ! हे पिता ! आप साकार देव, बरसाते रहे नेह धारा । कर सृजन किया पालन पोषण पग पग पर मेरे दुख टारे, हे ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव हे, मेंटे जीवन के... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · गीत 5 7 325 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 29 Oct 2016 · 1 min read गांव तरसते हैं... सुविधाओं के लिए अभी भी गांव तरसते हैं। सब कहते इस लोकतन्त्र में शासन तेरा है, फिर भी ‘होरी’ की कुटिया में घना अंधेरा है, अभी उजाले महाजनों के घर... Hindi · गीत 3 4 471 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 16 Oct 2016 · 1 min read आशाओं की कस्तूरी... 1. कोसते रहे समूची सभ्यता को बेचारे भ्रूण 2. दौड़ाती रही आशाओं की कस्तूरी जीवन भर 3. नयी भोर ने फडफढ़ाये पंख जागीं आशाएं 4. प्रेम देकर उसने पिला दिए... Hindi · हाइकु 2 275 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 9 Oct 2016 · 1 min read कुछ दोहे... फँसी भंवर में जिंदगी, हुए ठहाके मौन । दरवाजों पर बेबशी, टांग रहा है कौन ।। इस मायावी जगत में, सीखा उसने ज्ञान । बिना किये लटका गया, कंधे पर... Hindi · दोहा 3 1 599 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 28 Aug 2016 · 1 min read कब आओगे अनगिनत दुःशासन चीरहरण करते वसुधा का, आँचल रोज सिमटता जाता, मधुसूदन, तुम कब आओगे ? कालियदह हर घाट बन गया भारत की सारी नदियों का, पग-पग पर विषधर-समूह जीवन-सरिता में... Hindi · कविता 1 381 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 28 Aug 2016 · 1 min read देश हमारा सुखद, मनोरम, सबका प्यारा। हरा, भरा यह देश हमारा॥ नई सुबह ले सूरज आता, धरती पर सोना बरसाता, खग-कुल गीत खुशी के गाता, बहती सुख की अविरल धारा। हरा, भरा... Hindi · कविता 1 1k Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 3 Jul 2016 · 3 min read कुण्डलिया कैसे लिखें... कुंडलिया दोहा और रोला के संयोग से बना छंद है। इस छंद के ६ चरण होते हैं तथा प्रत्येकचरण में २४ मात्राएँ होती है। इसे यूँ भी कह सकते हैं... Hindi · Sahitya Kaksha · लेख 20 8 1k Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 3 Jul 2016 · 1 min read प्रिये ! मैं गाता रहूंगा... यदि इशारे हों तुम्हारे, प्रिये ! मैं गाता रहूंगा. प्रेम-पथ का पथिक हूँ मैं , प्रेम हो साकार तुम. मुझ अकिंचन को हमेशा , बांटती हो प्यार तुम. पात्र लेकर... Hindi · गीत 1 2 323 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 26 Jun 2016 · 1 min read समय की पगडंडियों पर समय की पगडंडियों पर चल रहा हूँ मैं निरंतर कभी दाएँ , कभी बाएँ, कभी ऊपर , कभी नींचे वक्र पथ कठिनाइयों को झेलता हूँ आँख मींचे कभी आ जाता... Hindi · गीत 1 2 598 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 19 Jun 2016 · 1 min read पिता पिता ! आप विस्तृत नभ जैसे, मैं निःशब्द भला क्या बोलूं. देख मेरे जीवन में आतप, बने सघन मेघों की छाया. ढाढस के फूलों से जब तब, मेरे मन का... Hindi · गीत 1 3 861 Share त्रिलोक सिंह ठकुरेला 18 Jun 2016 · 1 min read कुण्डलियाँ अपनी अपनी अहमियत, सूई या तलवार । उपयोगी हैं भूख में, केवल रोटी चार ॥ केवल रोटी चार, नहीं खा सकते सोना । सूई का कुछ काम, न तलवारों से... Hindi · कुण्डलिया 2 4 563 Share