sushil sarna Tag: कविता 25 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid sushil sarna 6 Sep 2021 · 2 min read लौट भी आओ न .... लौट भी आओ न .... लौट भी आओ न देखो ! प्रतीक्षा की सीढ़ियों पर साँझ उतरने लगी है भोर अपने वादे से मुकरने लगी है आँखों की मुट्ठियों से... Hindi · कविता 5 4 453 Share sushil sarna 25 Dec 2017 · 1 min read पीठ के नीचे .. पीठ के नीचे .. बेघरों के घर भी हुआ करते हैं वहां सोते हैं जहां शज़र हुआ करते हैं पीठ के नीचे अक्सर पत्थर हुआ करते हैं ज़िंदगी के रेंगते... Hindi · कविता 428 Share sushil sarna 9 Dec 2017 · 1 min read प्रेम होना चाहिए प्रेम ... अनुपम आभास की अदृश्य शक्ति का चिर जीवित अहसास है प्रेम मौन बंधनों से उन्मुक्त उन्माद की अनबुझ प्यास है प्रेम संवादहीन शब्दों की अव्यक्त अभिव्यक्ति का असीमित... Hindi · कविता 255 Share sushil sarna 6 Nov 2017 · 1 min read उनकी यादों की .... उनकी यादों की .... ये कैसे उजाले हैं रात कब की गुजर चुकी दूर तलक आँखों की स्याही बिखेरते तूफ़ां से भरे आरिज़ों पर ठहरे ये कैसे नाले हैं शब्... Hindi · कविता 334 Share sushil sarna 30 Oct 2017 · 1 min read जुलाहा ... जुलाहा ... मैं एक जुलाहा बन साँसों के धागों से सपनों को बुनता रहा मगर मेरी चादर किसी के स्वप्न का ओढ़नी न बन सकी जीवन का कैनवास अभिशप्त से... Hindi · कविता 468 Share sushil sarna 22 Sep 2017 · 1 min read ख़ारे धारे ... ख़ारे धारे ... कुछ गिले हमारे हैं और कुछ गिले तुम्हारे हैं l ...दिलों के इस खेल में हम दोनों ही दिल हारे हैं l .......दोनों ही अब तन्हा हैं,दोनों... Hindi · कविता 244 Share sushil sarna 15 Jul 2017 · 1 min read नेम प्लेट ... नेम प्लेट ... कुछ देर बाद मिल जाऊंगा मैं मिट्टी में पर देखो हटाई जा रही है निर्जीव काल बेल के साथ लटकी मेरी ज़िंदा मगर उखड़े उखड़े अक्षरों की... Hindi · कविता 238 Share sushil sarna 10 Jul 2017 · 1 min read प्रेम ... प्रेम ... अनुपम आभास की अदृश्य शक्ति का चिर जीवित अहसास है प्रेम// मौन बंधनों से उन्मुक्त उन्माद की अनबुझ प्यास है प्रेम// संवादहीन शब्दों की अव्यक्त अभिव्यक्ति का असीमित... Hindi · कविता 318 Share sushil sarna 10 Jul 2017 · 1 min read प्रेम ... प्रेम ... अनुपम आभास की अदृश्य शक्ति का चिर जीवित अहसास है प्रेम// मौन बंधनों से उन्मुक्त उन्माद की अनबुझ प्यास है प्रेम// संवादहीन शब्दों की अव्यक्त अभिव्यक्ति का असीमित... Hindi · कविता 225 Share sushil sarna 27 Jun 2017 · 1 min read ज़िंदगी के सफ़हात ... ज़िंदगी के सफ़हात ... हैरां हूँ बाद मेरे फना होने के किसी ने मेरी लहद को गुलों से नवाज़ा है एक एक गुल में गुल की एक एक पत्ती में... Hindi · कविता 418 Share sushil sarna 16 Jun 2017 · 1 min read तुम्हारी कसम ... तुम्हारी कसम ... सच तुम्हारी कसम उस वक़्त तुम बहुत याद आये थे जब सावन की फुहारों ने मेरे जिस्म को भिगोया था जब सुर्ख़ आरिज़ों से फिसलती हुई कोई... Hindi · कविता 559 Share sushil sarna 14 Jun 2017 · 1 min read अमर कलम ... अमर कलम ... चलो आओ अब सो जाएँ अश्रु के सीमित कणों में खो जाएँ घन सी वेदना के तिमिर को कोई आस किरण न भेद पाएगी पाषाणों से संवेदहीन... Hindi · कविता 1 2 267 Share sushil sarna 7 Jun 2017 · 1 min read खूंटी पर टंगी कमीज़ को .... खूंटी पर टंगी कमीज़ को .... जब जब मैं छूती हूँ खूंटी पर टंगी कमीज़ को मेरा समूचा अस्तित्व रेंगने लगता है उस स्पर्शबंध के आवरण में जहां मेरा शैशव... Hindi · कविता 489 Share sushil sarna 27 May 2017 · 1 min read प्रणय गान ... प्रणय गान ... कौन मेरी हथेलियों पे एक आसमान लिख गया। स्मृति मेघ की बूंदों में भीगी पहचान लिख गया। क्षितिज़ चूमते जलधि में,मैं देर तक खोई रही , चुपके... Hindi · कविता 230 Share sushil sarna 27 May 2017 · 1 min read विश्वास .... विश्वास .... क्या है विश्वास क्या वो आभास जिसे हम केवल महसूस कर सकते हैं और गुजार देते हैं ज़िंदगी सिर्फ़ इस यकीन पर कि एक दिन तो उसे हम... Hindi · कविता 472 Share sushil sarna 19 May 2017 · 1 min read वो बुद्ध कहलाया ... वो बुद्ध कहलाया ... दुःख-दर्द,खुशी, सांसारिक व्याधियों के कोलाहल में आडंबर भरे संसार में झूठे दिखावटी प्यार में भौतिक रिश्तों के व्यापार में जो निर्लिप्त भाव से स्वयं को स्वयं... Hindi · कविता 470 Share sushil sarna 16 May 2017 · 1 min read जंगल ... जंगल ... जंगल के जीव अब शहरों में चले आये हैं स्वार्थी इंसान ने उनके आशियाने जलाये हैं बदलते परिवेश में जानवरों ने तो अपने मतभेद मिटा डाले हैं अफ़सोस... Hindi · कविता 380 Share sushil sarna 12 May 2017 · 1 min read सांझ अमर हो जाएगी ……. सांझ अमर हो जाएगी ……. पलक पंखुड़ी में प्रणय अंजन से सुरभित संसृति का श्रृंगार करो भ्रमर गुंजन के मधुर काल में कुंतल पुष्प श्रृंगार करो तृप्त करो तुम नयन... Hindi · कविता 375 Share sushil sarna 10 May 2017 · 1 min read यकीं के बाम पे ... यकीं के बाम पे ... हो जाता है सब कुछ फ़ना जब जिस्म ख़ाक नशीं हो जाता है गलत है मेरे नदीम न मैं वहम हूँ न तुम वहम हो... Hindi · कविता 286 Share sushil sarna 1 May 2017 · 1 min read गर्व .... गर्व .... रोक सको तो रोक लो अपने हाथों से बहते लहू को मुझे तुम कोमल पौधा समझ जड़ से उखाड़ फेंक देना चाहते थे मेरे जिस्म के काँटों में... Hindi · कविता 269 Share sushil sarna 28 Apr 2017 · 1 min read बेशर्मी से ... (क्षणिका ) बेशर्मी से ... (क्षणिका ) अन्धकार चीख उठा स्पर्शों के चरम गंधहीन हो गए जब पवन की थपकी से इक दिया बुझते बुझते बेशर्मी से जल उठा सुशील सरना Hindi · कविता 229 Share sushil sarna 30 Jul 2016 · 1 min read व्यथा.... एक लंबे अंतराल के पश्चात तुम्हारा इस घर मेंं पदार्पण हुअा है जरा ठहरो ! मुझे नयन भर के तुम्हें देख लेने दो देखूं ! क्या अाज भी तुम्हारे भुजबंध... Hindi · कविता 564 Share sushil sarna 29 Jul 2016 · 1 min read आभास (वर्ण पिरामिड ) आभास (वर्ण पिरामिड ) मैं तुम यथार्थ और हम एक विश्वास जीवन है माया देह सिर्फ आभास सुशील सरना Hindi · कविता 354 Share sushil sarna 29 Jul 2016 · 1 min read वर्ण पिरामिड.... वर्ण पिरामिड में प्रथम प्रयास : है धूप ही धूप हर ओर हुआ उजला व्यर्थ गयी हाला दगा दे गयी बाला सुशील सरना Hindi · कविता 362 Share sushil sarna 28 Jul 2016 · 1 min read तुम्हारे बाहुपाश के लिए ……. तुम्हारे बाहुपाश के लिए ……. कितने वज्र हृदय हो तुम इक बार भी तुमने मुड़कर नहीं देखा तुम्हारी एक कंकरी ने शांत झील में वेदना की कितनी लहरें बना दी... Hindi · कविता 4 377 Share