Sûrëkhâ Tag: बूढ़ापा 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Sûrëkhâ 14 Jun 2023 · 1 min read बूढ़ी मां *बूढ़ी मां* जब सांसे मेरी चलती थी तो तेरा रवैया कुछ और था एक रोटी के टुकड़े के खातिर तूने दिया मुझे झंझोड़ था। एक गिलास पानी पिलाने के कारण... Poetry Writing Challenge · कविता · बूढ़ापा · मां · मां की अभिलाषा · मां मानवता 6 3 762 Share