Sumangal Singh Sikarwar Tag: कुण्डलिया 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sumangal Singh Sikarwar 30 May 2024 · 1 min read लो फिर बसंत आया है मन पुलकित, है तन पुलकित पुलकित है जग सारा | है वन पुलकित उपवन पुलकित पुलकित है नभ सारा | मस्तिष्क की डालियां कहने लगीं फिर .. लो फिर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 67 Share Sumangal Singh Sikarwar 30 May 2024 · 1 min read बेटी हर दर्द को सहती है खुश फिर भी वो रहती है बेटी क्या है लड़की क्या है खुद को खुद से कहती है | बेटी जन्मती एक घर में पनपती... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · गीत · गीतिका 1 65 Share Sumangal Singh Sikarwar 30 May 2024 · 1 min read न जाने किसकी कमी है फूलों से महकते बाग फिर भी सूनी जमी है न जानें किसकी कमी है , न जानें किसकी कमी है | चहकते हैं पक्षी यहां कोयल भी कूकती है न... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 86 Share Sumangal Singh Sikarwar 30 May 2024 · 1 min read अतीत याद आता है अचानक हवा का कोई झोंका मेरे सामने से गुजर जाता है मुझे मेरी स्मृति को अपने साथ लेकर मेरे अतीत तक की सैर कराता है वह चेहरा जो अब स्मृति... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 82 Share Sumangal Singh Sikarwar 30 May 2024 · 1 min read जानेमन नहीं होती गम की दहलीज पे मुसीबत कम नहीं होती, सफर ए इश्क की कोई मजिल नहीं होती | होकर परेशां जिंदगी से मौत करीब लगती है करीब से देखो जिंदगी भी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 104 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read बदला हूं मैं धूप वो तपती वो जलते पैर मजबूरी और नंगे पांव की सैर | बदला नहीं है कुछ भी सबकुछ है वही वही तपती धूप वही है रहगुजर | रहगुजर मुश्किल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल/गीतिका · गीत · गीतिका 80 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read कविता शब्द अनन्य भावों का बोध कराते प्रथक प्रथक स्थान लिए स्मृति पटल पर अंकित हो जाते हैं | यही शब्द संचित होकर विचार बन जाते हैं विचार होते हैं कभी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 74 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read पलक कल ये जो उठी तो चांद नजर आया , और जब ये झपकीं तो धुंध अंधेरा छाया काश झपकना इनकी फितरत में न होता हम इक टक उस चांद को... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 82 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read मौसम तपती धूप में नंगे पैर चलते हैं , मजबूरी में इन बादलों का जुल्म सहते हैं , भीगना चाहते नहीं मगर भीगते हैं वो , ठंड की ठिठुरन को भी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 94 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read तकदीर उस करसाज की लिखी होती हैं तकदीर इंसा के हाथों कभी गढ़ी होती है तकदीर कभी दर्दों गम का खुला पैगाम है तकदीर कभी खुशियों का भरा अंबार है तकदीर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल 63 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read आवाज न जानें क्यूं कहा हमसे उन्होंने आज उनकी आवाज से मिलादें अपनी आवाज काश कि वो हमें अब चाहने लगे हैं, शायद तभी थी उनकी ये आरजू भरी आवाज |... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 47 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read इशारा आंखें ये उनकी क्या कह रही हैं यूं पलकों को उठा और झपका रहीं हैं कभी तिरछी होकर हमें निहारती हैं कभी मुस्कुराकर जलवा दिखाती हैं हम समझ नहीं पाते... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 72 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read वो चेहरा सुमन सा सुंदर , मोह सा मोहक प्रेम सा प्रिय, भाव सा भावुक स्पंदन सा कंपित , रूदन सा पीड़ित स्मृति सा स्मारक वो चेहरा ... मुझे देख छुप जाता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 47 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read आंगन आंगन खुशियों से महकता सा आंगन ... दस्तकों से दमकता सा | कभी उनकी आहट का सुकून देता कभी उनके आने का सबूत देता | अगले ही क्षण यूं कहने... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 59 Share Sumangal Singh Sikarwar 29 May 2024 · 1 min read ये जिंदगी कभी खुशी कभी गम अजीब सी ये लगती है न जाने क्यूं ये जिंदगी एक पहेली सी लगती है | सब कुछ भी पाकर ख़ाव अधूरा सा रहता है मिले... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 57 Share Sumangal Singh Sikarwar 28 May 2024 · 1 min read खत लो फिर किसी की बात किसी तक पहुंच गई यूं लगा कि किसी की आरजू पूरी हो गई | वो तो गुदगुदा गए मन ही मन अनंत कि उनकी निगाह... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 53 Share Sumangal Singh Sikarwar 28 May 2024 · 1 min read रात नहीं कहता कोई किसी से हर बात नही कहता अपने दिल के हर जज़्बात नहीं कहता | कभी कुछ तो कभी कुछ छुपाता है दिन तो कहता है मगर रात नहीं कहता... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 52 Share Sumangal Singh Sikarwar 28 May 2024 · 1 min read रुख बदल गया अधखिली सी धूप को स्याह अंधेरा बदल गया सूरज निकलते निकलते अपना रुख बदल गया | बड़ी आस थी कि धूप निकल आएगी दुख की छांव को अलविदा कह जायेगी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · गीत · गीतिका 54 Share Sumangal Singh Sikarwar 28 May 2024 · 1 min read मेरी सूरत हो तुम इस कदर मेरे ख्यालों में हो मेरे दिन और मेरी रातों में हो कि जैसे तुम इक नदिया हो मेरे पल पल में तुम बहती हो तुम इस कदर... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · गीत · गीतिका 51 Share Sumangal Singh Sikarwar 28 May 2024 · 1 min read माँ ठिठुरती ठंड में निठुरती अंध में चूल्हे पर तवे चिमटे हाथ सिमटे... आग की लपटों से बचती, रोटियां सेंकती माँ | बरतनों का ढेर देर सबेर बच्चो का शोर क्रोध... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 1 82 Share Sumangal Singh Sikarwar 27 May 2024 · 1 min read इंतजार एक इंतजार अजीब सा है ये इकरार अजीब सा है मुझे मेरे मन को एतबार अजीब सा है इंतजार कि खुशी चली आएगी गमों की धूप ये ढली चली आएगी... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल/गीतिका · गीत · गीतिका 77 Share Sumangal Singh Sikarwar 27 May 2024 · 1 min read प्यार एक मीठा अहसास है प्यार एक मीठा अहसास है जीवन की प्यास है कृष्ण की बंसी है प्यार राधा की आस है | प्यार एक मीठा अहसास है जीवन की आस हैं | मन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · गीत 91 Share Sumangal Singh Sikarwar 25 May 2024 · 1 min read आइना हूं कभी लवों को तो कभी मुस्कुराहट बयान करता हूं, कभी जुल्फों को तो कभी नैन नक्श बयां करता हूं| कभी हंस देता हूं उनकी हंसी को देखकर कभी उनके खूबसूरत... Poetry Writing Challenge-3 · कविता · कुण्डलिया · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · हिंदी कविता 1 87 Share