Sukhchain Mehra 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sukhchain Mehra 3 Mar 2020 · 2 min read धोखे के मुखोटे धोखे के मुखोटे (मेरी अभिव्यक्ति) आज मैं आपको उन ‘धोखे के मुखोटों’ के बारे में बता रहा हूँ जिसके कारण एक इन्सान अक्सर धोखा खा ही जाता है | हो... Hindi · लेख 4 813 Share Sukhchain Mehra 4 Apr 2019 · 1 min read तुम मेरी सुबह हो तुम मेरी शाम हो तुम मेरा कल हो तुम मेरा आज हो तुम। क्या करूँ हमदम डर लगता तुम से वैसे तो मूर्खों के सरताज हो तुम।।... Hindi · कविता 1 408 Share Sukhchain Mehra 11 Nov 2018 · 1 min read लो हो गयी खत्म हड़ताल मैं लो हो गई खत्म हड़ताल क्या मानी कुछ सरकार.? या यों ही बे - कार गया ये बे समझी का विचार.. || हड़ताली घणी सब्जी खिलारी और दूध गलियाँ... Hindi · कविता 2 3 299 Share Sukhchain Mehra 10 Nov 2018 · 1 min read माँ (साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता) मेरे हालात रंक से भी बदतर हो गये है, जहां तूने रानी बनाकर विदा किया था माँ। फटी चटाई पर सोती है तेरी रानी बिटिया, उस पलंग पर नहीं जो... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 16 139 1k Share