Shyam Vashishtha 'शाहिद' Tag: कविता 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read टापू लहरों के थपेड़ों से टापुओं की मिट्टी का क्षरण सदियों से होता रहा है टापू सिमट रहे हैं! वनस्पतियों को अपनी छाती पर सहेजने वाले टापू जलजीवों के पर्यटन स्थल... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 92 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read वृद्धाश्रम अफसरों,न्यायाधीशों,शिक्षकों ने कामयाब व्यापारियों,दानवीरों ने व्यस्त और मस्त दयालु पीढ़ियों ने अरबपति बिल्डर्स और ज़मींदारों ने ऊँचे कलाकारों और छायाकारों ने अमीरों और वज़ीरों ने बुज़ुर्गों की सेवा के लिए... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 33 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read आई सी यू महानगर के अस्पताल के आई सी यू के भीतर अपनी अंतिम साँसे लेता बीमार आई सी यू के बाहर चिंतित बीमार के तीमारदार और उन्हें सांत्वना देते रिश्तेदार फूफा,मौसा,चाचा,मामा,ताऊ,बहनोई और... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 50 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 2 min read नाकाम पिता मैं पिता हूँ मगर आज नाकाम हूँ अपने बच्चों की नज़रों में बेदाम हूँ मेरी तालीम में कुछ कमी रह गई वक़्त की आँख में बस नमी रह गई परवरिश... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 2 45 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read आदमी आदमी है आदमी की ज़ात क्या! कोई बदलेगा तेरे हालात क्या!! आसमाँ से कौंधती हैं बिजलियाँ, हम सभी हालात की कठपुतलियाँ, नाचते रहते हैं दिन क्या,रात क्या! जो मसीहा बन... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 62 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read रावण तो अब भी ज़िन्दा है ! रावण बेशक़ था विद्वान! लेकिन पर-नारी पर उसने, बुरी नज़र जब डाली, उसी वक़्त उसके विनाश की, लीला लिखी गई थी! रामचन्द्र ने मार दिया था, उस रावण को! तब... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 36 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 3 min read पीड़ा का अनुवाद (लोकडाउन के दौरान मज़दूरों की व्यथा) हम मज़दूर चले हैं नंगे पाँव साहब जाने कब पहुँचेंगे अपने गाँव साहब पीड़ाओं के पंख पहनकर दुविधाओं की चादर ओढ़े युगों युगों से... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 34 Share Shyam Vashishtha 'शाहिद' 13 May 2024 · 1 min read बेटियाँ कितने उलझे सवालों का हल बेटियाँ आज बेटों से ज़्यादा सफ़ल बेटियाँ आसमानों से आगे के सपने बुनें फिर भी अचला के जैसी अचल बेटियाँ जैसे मधुबन में मोहन की... Poetry Writing Challenge-3 · कविता 1 48 Share