shuchi bhavi 14 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid shuchi bhavi 9 Dec 2016 · 1 min read खंड खंड मैं-अखण्ड तुम ।।खंड-खंड मैं,अखण्ड "तुम"।। खंड खंड होता है इंसान संपूर्ण तो सिर्फ़ भगवान खंड खंड क्यों न फिर जीता हर रिश्ते में क्यों वो रीता? काल-खंड भी खंड खंड ईनाम इक... Hindi · कविता 1 360 Share shuchi bhavi 1 Aug 2016 · 1 min read स्वागत है,,, 01.08.16 नसीब में मिली सिर्फ़ तन्हाई,स्वागत है, बुराई गर है ईनामे भलाई,स्वागत है । लड़ें खुदी से कैसे औ कितना अब ख़ुशी बन गम का साया है आई,स्वागत है ।।... Hindi · मुक्तक 1 1 249 Share shuchi bhavi 28 Jul 2016 · 1 min read पंछी वत ही डोली,,, 28.07.16 समय के साथ चलते चलते जब थकी, तो पनाहों में समय के ही वो हो ली,,, बहती रही निरंतर बहती ही रही वो, हवा और रुत जिधर की भी... Hindi · कविता 601 Share shuchi bhavi 28 Jul 2016 · 1 min read तुममें वो पुरानी बात ढूंढती हूँ,, तुममें मैं वो पुरानी बात ढूंढती हूँ, ढूंढती हूँ वो बीते लम्हे भी, सच में,वो चाँद रात ढूंढती हूँ तुममें मैं वो पुरानी बात ढूंढती हूँ,,,, * वर्षों का बीतना... Hindi · कविता 2 381 Share shuchi bhavi 26 Jul 2016 · 1 min read इक घर अपना भी बने प्यारा,,,, 26.07.16 इक घर अपना भी बने प्यारा,,, इक तिनका आज फिर लायी हूँ नीड़ फिर नया इक बनाई हूँ यादों का तिनका एक भी नहीं न ही कोई तिनका है... Hindi · कविता 343 Share shuchi bhavi 26 Jul 2016 · 1 min read खत्म होती पर आस नहीं,, 26.07.16 "आस", बिन बह्र कुछ,, नयन भर भर पीता आँसूं, खत्म होती पर प्यास नहीं,, गिरजे,मन्दिर,मस्जिद,ढूंढे बस खुदा खत्म होती पर क़यास नहीं,, झोलियाँ भर भर रत्न समेटे, खत्म होती... Hindi · कविता 1 403 Share shuchi bhavi 25 Jul 2016 · 1 min read क्षणिकाएँ---1 25.07.16 क्षणिकाएँ,,,,, * वक्त के साथ चली तो पिछड़ गयी खुद से खुद ही महाभारत लड़ गयी पागलों सा जीवन जीने निकली हूँ अब ख़ुशी के साथ देखो तो सही... Hindi · कविता 313 Share shuchi bhavi 25 Jul 2016 · 1 min read कब्र में खाली हाथ जाते हैं उम्र भर मालो ज़र कमाते हैं क़ब्र में खाली हाथ जाते हैं ।। लोग खुद पर सितम ये ढाते हैं धुन में जीने की मारे जाते हैं ।। एक ही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 397 Share shuchi bhavi 25 Jul 2016 · 1 min read छोड़ भवि यूँ इंतज़ार करना रोज वादे यूँ ही झूठे यार करना आ गया हमको भी दो के चार करना ।। लो हुई बेटी गरीबों की विदा अब चार शाने उसके तुम तैयार करना ।।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 545 Share shuchi bhavi 25 Jul 2016 · 1 min read पलाश का साधुत्व ऐ पलाश! मैंने देखा है तुम्हें फूलते हुए, देखा है मैंने- तुम्हारी कोंप-कोंप से प्रस्फुटित होते- यौवन को.. मैंने देखा है, तुम्हें वर्ष भर फाल्गुन की बाँट जोहते... पर,नहीं देखा... Hindi · कव्वाली 1 4 868 Share shuchi bhavi 18 Jul 2016 · 1 min read चाहत 18.07.16 तुम्हें टूट कर चाहने की सजा पाये हैं अब भुला कर तुम्हें, टूटने की चाहत है,,, शुचि(भवि) Hindi · शेर 1 1 477 Share shuchi bhavi 14 Jul 2016 · 1 min read बोलो तुम्हें किसने बुलाया है?? 14.07.16 क्यूँ आज समन्दर आया है सहरा सहरा हम तो थे अब नयनों ने क्यूँ तुम्हें बुलाया है,,, लम्हे लम्हे जिन्दा थे हम क्षण क्षण ने अब डराया है, साथ... Hindi · कविता 2 373 Share shuchi bhavi 14 Jul 2016 · 1 min read मोहब्बत को पैरहन की तरह हमेशा ही बदले जो मोहब्ब्त को पैरहन की तरह हमेशा ही बदले जो बातें ताज की ही फिर ऐसे बशर अब करते क्यों संग मुमताज़ उन हजारों की आत्माएं भी रोती हैं मोहब्बते-पाक की... Hindi · मुक्तक 212 Share shuchi bhavi 13 Jul 2016 · 1 min read किसी के काम तो आया मेरा नाकाम होना किसी के काम तो आया, जुबां पर भूले से ही यूँ मेरा नाम तो आया. जिए थे साथ वो भीगे से पल हमने भी कभी, किसी औ... Hindi · मुक्तक 3 439 Share