Shiva Awasthi Tag: प्रेम 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shiva Awasthi 8 Jul 2024 · 1 min read कविता लड़कियों को पढ़ने देते हुए चाहा गया कि वे सिर्फ पढ़ें किन्तु वे लिखने भी लग गईं लिखने वाली लड़कियों से चाहा गया कि लिखें देश प्रेम, भक्ति गीत किन्तु... Hindi · कविता · प्रेम · लड़कियां · समाज 73 Share Shiva Awasthi 21 Feb 2024 · 2 min read कविता(प्रेम,जीवन, मृत्यु) स्वाभाविक तौर पर सब निर्जीव होता है कोशिश करनी पड़ती है प्राण भरने की जीवंत "बनाना" पड़ता है होता नहीं है कुछ भी कोशिश खत्म, जीवन खत्म सक्रियता जीवन है,... Hindi · जीवन · दर्शन · प्रेम · मृत्यु 1 1 257 Share Shiva Awasthi 9 Feb 2024 · 2 min read कविता आज सुबह जब छत पर पहुंची लगभग ग्यारह पांच हुआ था और सामने वाली छत पर पंद्रह कपड़े पड़े हुए थे मेरी छत के आसमान में तैर रहीं थी आठ... Hindi · एकांत · कविता · प्रतिक्षा · प्रेम 1 161 Share Shiva Awasthi 4 Feb 2024 · 1 min read कविता बिन कहे मेरा कहा तुम सुन सकोगे? सुन सको यदि, तो करूँ मैं प्यार तुमसे। मैं नहीं हूँ चाहती साया सुखों का, न ही कोई फूल जैसी राह चाहूँ। हाँ... Hindi · प्रेम 222 Share Shiva Awasthi 5 Jun 2023 · 1 min read कविता उस दिन, मैं टेक लगाए बैठी थी और वो, आकर मेरे पैरों से अपना चेहरा सटाकर लेट गया। उसकी गर्म हथेलियों ने मेरे दोनों पंजों को नर्मी से छुआ मेरे... Hindi · कविता · दर्शन · प्रेम 4 303 Share Shiva Awasthi 5 Jun 2023 · 1 min read कविता// घास के फूल नदी कभी जी भर नहीं नहाई गई, गहराई और मृत्यु के भय से। जबकि, मृत्यु किनारे पर भी थी। जमीन पर भी। कितना समय लगता है, एक हृदयाघात में ?... Hindi · कविता · जीवन · दर्शन · प्रेम · मृत्यु 2 316 Share Shiva Awasthi 13 Jan 2023 · 1 min read आ जाओ न प्रिय प्रवास तुम नाच रहे हैं जंगल-जंगल, नैना बाँध स्वप्न के घुँघरू। पूछ रहे हैं कहाँ खिले हो, कौन डाल के नीचे ठहरूँ? सघन वनों के काहीपन में, खिल जाओ न प्रिय पलाश... Hindi · गीत · प्रकृति · प्रेम · प्रेमगीत 4 330 Share Shiva Awasthi 6 Jan 2023 · 1 min read गीत अज्ञानों के अर्धज्ञान पर हामी भर, कैसे कह दूं पागल! नश्वर हैं हम तुम। द्वापर में जो कृष्ण सिखा कर चले गए। जिसके स्वर में स्वर वंशी के रचे गए।... Hindi · गीत · जीवन · दर्शन · प्रेम 4 337 Share Shiva Awasthi 13 Sep 2022 · 1 min read इस छोर से उस कोने तक इस छोर से उस कोने तक, जो खामोशी सी पसरी है। अनकही, अनछुई कुछ बातें, मानस में कुछ - कुछ उभरी हैं। एक शून्य बाँधकर नयन डोर उतरा करता है... Hindi · अनिश्चितता · कविता · प्रतीक्षा · प्रेम 4 278 Share