Shekhar Kumar Tag: कविता 10 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shekhar Kumar 26 Jul 2021 · 1 min read मूलाधिकार हर नागरिक को स्वतंत्र बोलने का अपने विचारों को समाचार पत्र में छपवाने का शिक्षा के प्रति हो या शोषण के प्रति प्रदान है यहाँ मूलाधिकार का उपयोग करने का... Hindi · कविता 2 403 Share Shekhar Kumar 26 Jun 2021 · 1 min read प्रतिज्ञा हुई न भारी शीर्षक:- प्रतिज्ञा हुई न भारी घिर गई निराशा मन में तन में जगी न बेकरारी आशा की किरण दिखी नहीं घनघोर घटा सी कारी प्रतिष्ठायें सभी निरस्त्र हुई प्रतिज्ञा हुई... Hindi · कविता 2 2 276 Share Shekhar Kumar 23 Jun 2021 · 1 min read अब का दौर नया आया हैं अब का दौर नया आया हैं किताबों को कोठरी मे रख ऑनलाइन क्लास ने बच्चों का मन बहलाया हैं मोबाइल देखते-देखते न जाने बच्चों ने भी चश्मा लगाया हैं दिन-रात... Hindi · कविता 1 340 Share Shekhar Kumar 16 Jun 2021 · 1 min read हर पंक्ति में मुस्कुरा जाऊ, ऐसे कविताएं देखें मैंने कितने रंगीन लेख देखें मैंने कोई न देखता ऐसे मंजर देखें मैंने अब कदर ही कहा हैं कविताओं की, क्योंकि लोगों को गानें सुनते देखें मैंने किसी में स्वभाव तो... Hindi · कविता 1 342 Share Shekhar Kumar 12 Jun 2021 · 1 min read अधूरे रिश्तों को, बनाओ न कण-कण की भाँति मुझको पहचानो न तन-मन में दबी बात धीरे-धीरे गुनगुनायों न दूर शिखर में खड़ी कही मुझसे मिलने आओ न परछाई बन मेरी तूम घंघोर बादल लाओ न... Hindi · कविता 2 2 318 Share Shekhar Kumar 10 Jun 2021 · 1 min read बरसाती पूजा स्त्रियों की सुहानी दिन होती हैं पति के प्रति अपना, तन-मन समर्पित करती हैं स्त्रियाँ सौंदर्य सलाखों पर रख, श्रृंगार से लतपत होती हैं सदा सुहागन रहने की , मनोकामना... Hindi · कविता 2 4 391 Share Shekhar Kumar 4 Jun 2021 · 1 min read जब बारिश की बूंदें, धरातल को चूमती हैं बरसात के मौसम में, कण-कण भींगा जाती है बादलों की कडकडाहट, कोई गीत सुना जाती है चमक ऐसी क्षण के लिए उजेला भर देती है जब बारिश की बूंदें, धरातल... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 3 4 359 Share Shekhar Kumar 28 May 2021 · 1 min read ये कितनी हसीन बरसात हुई ये कितनी हसीन बरसात हुई आज इश्क की बात हुई बारिश की बूदों में उनसे मुलाकात हुई भीगीं राहें थमी नहीं, ये कितनी हसीन बरसात हुई बेवसी सारी दूर हुई... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 6 370 Share Shekhar Kumar 28 May 2021 · 1 min read मौसम खिला हैं, बरसात आओ न मौसम खिला हैं, बरसात आओ न तन्हाइयों से भरी जिंदगी बहलाओ न महकाती जीवन लाओ न मजबूरीया छिपा घटायों पर, खिलखिलाते मौसम बनाओ न तिलमिलाती प्यास बूझाओ न ये बादल... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 2 224 Share Shekhar Kumar 26 May 2021 · 1 min read थोड़ा थोड़ा लिखना चाहता हूँ मैं शीर्षक:- थोडा़-थोड़ा लिखना चाहता हुँ मैं.। ख्वाबों को सजाता हुँ मैं मंजिलों को ढूदने निकल जाता हुँ मैं रास्तें जुदा होते है फिर भी, थोड़ा-थोड़ा लिखना चाहता हुँ मैं.। उम्र... Hindi · कविता 2 274 Share