विनोद शर्मा सागर Tag: ग़ज़ल/गीतिका 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद शर्मा सागर 21 May 2022 · 2 min read पिताजी ------ *पिताजी* ------ सदा बात सच्ची बताते पिताजी। सही राह हमको चलाते पिताजी।। अगर रूठ जायें किसी बात पर हम। गले से लगाकर मनाते पिताजी।। हमें हर खुशी मिल सके... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 7 2 761 Share विनोद शर्मा सागर 26 Jan 2020 · 1 min read कैसे वतन भूल जायें ज़मीं भूल जाएं गगन भूल जाएं। न हम से कहो हम वतन भूल जाएं।। शहीदों ने खींचा है इसको लहू से। मुनासिब नहीं यह चमन भूल जाएं।। हमें जान से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 530 Share विनोद शर्मा सागर 5 May 2018 · 1 min read बेटियाँ बेटियाँ सबसे हैं प्यारी बेटियाँ। । माँ बाप की और दादा दादी की। घर में सबकी हैं दुलारी बेटियाँ। । पैसे प्यार में बेटे बिगड़े हुए। मगर हैं सबसे आज्ञाकारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 305 Share विनोद शर्मा सागर 5 May 2018 · 1 min read दुआ चाहिए या ख़ुदा बस यही इक दुआ चाहिए। यार मेरा मुझे बावफ़ा चाहिए। । ज़िन्दगी आज तेरा पता चाहिए। मंज़िलों का मुझे रास्ता चाहिए। । रात दिन मैं निहारूं जिसे प्यार... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 327 Share विनोद शर्मा सागर 7 Apr 2018 · 1 min read गज़ल ---- गज़ल--- ज़िन्दगी पे लदी उधारी है। चंद साँसों की रेज़गारी है।। दाँव हर खेल हार बैठे हम। वक़्त निकला बड़ा जुआरी है।। आदमी की जुबां ज़हर जैसी। ज़ेब में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 363 Share विनोद शर्मा सागर 3 Apr 2018 · 1 min read गज़ल -------- गज़ल-------- कितने आँसू बह निकले हैं इक लम्हा मुसकाने में। जीवन सारा बीता जाये ख़ुद को ही समझाने में।। साना है खून पसीना जिसने इस घर के गारे में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 369 Share विनोद शर्मा सागर 2 Apr 2018 · 1 min read गज़ल ---- गज़ल------ मुझे जख़्म दे पर दवाई न दे। भरोसा हमें तू हवाई न दे।। नज़र से कहा कुछ जुबां से कहा। खता हो गयी अब सफ़ाई न दे।। सुबह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 347 Share विनोद शर्मा सागर 1 Apr 2018 · 1 min read गज़ल किया वक़्त ने ये मेरा फ़ैसला है। क़दम दर क़दम ज़िन्दगी फ़ासला है।। चलो हसरतों का उजाला जलाओ। अँधेरों में रोने से क्या फ़ायदा है। । अभी होश में हूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 305 Share विनोद शर्मा सागर 25 Mar 2018 · 1 min read कविता जन्म लेती है ==== गीतिका==== पराजय जब न हो स्वीकार कविता जन्म लेती है। लगे जब जीत भी इक हार कविता जन्म लेती। । कुचल जायें हृदय के जब अधूरे ही सभी सपने।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 388 Share