Shakuntala Agrwal 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Shakuntala Agrwal 17 Nov 2018 · 1 min read माँ बरवै छंद तेरे दर्शन की माँ,आस लगाय। जीती हूँ मैं दुनियाँ,लाख सताय सगा नहीं है कोई , मात सिवाय। सब जानती शारदे,लाख छिपाय। लगे नैन भी थकने,करो न देर। आओ... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 4 19 836 Share