सतीश मिश्र "अचूक" Language: Hindi 6 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सतीश मिश्र "अचूक" 11 May 2022 · 1 min read पिता श्रेष्ठ है इस दुनियां में जीवन देने वाला है परमपिता से बढ़कर जिसने मुझको सदा सम्हाला है। पिता श्रेष्ठ है इस दुनिया में जीवन देने वाला है।। जन्म दिया है रूप रंग दे जिसने हमें सजाया। गोद उठाया पकड़... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · गीत 3 2 569 Share सतीश मिश्र "अचूक" 11 May 2022 · 1 min read सूरज का ताप काफी बढ़ता जा रहा, है सूरज का ताप। जाता है जो धूप में, फौरन जाता हॉफ। फौरन जाता हॉफ, दोष देता है रवि को। होता है सन्ताप, ताप चढ़ता है... Hindi · कुण्डलिया 2 1 481 Share सतीश मिश्र "अचूक" 15 Apr 2022 · 1 min read शुभाशीष जीवन में मिलती रहे, खुशियों की सौगात। पिता प्रफुल्लित हो सदा, रहे मातु हर्षात। रहे मातु हर्षात मिले सुख सदा निराला। जीवन पथ पर सजा रहे खुशियों का प्याला। दुर्वा... Hindi · कविता 1 1 216 Share सतीश मिश्र "अचूक" 13 Apr 2022 · 1 min read सूरज का ताप हुआ ताप रवि का कठिन, है गर्मी का जोर। हर कोई जल बिन बिकल, मचा चहुतरफ़ शोर। मचा चहुतरफ़ शोर, घोर तपती है धरती। कैद घरों में लोग, ताप से... Hindi · कविता 1 196 Share सतीश मिश्र "अचूक" 24 Aug 2021 · 1 min read प्रेमचंद्र जी प्रेमचंद जी ने लिखा सबका प्रिय 'गोदान'। दीन दुखी का दर्द लिख दीना उचित निदान। दीना उचित निदान कहानी स्वयं बोलतीं। भाषा सरल भाव भी सबके सहज तौलतीं। खड़ा 'दरोगा... Hindi · कुण्डलिया 1 1 493 Share सतीश मिश्र "अचूक" 24 Aug 2021 · 1 min read पीलीभीत आमंत्रण आइए श्रीमान फिर पीलीभीत शहर में, कान्हा वाली बांसुरी भी आपको बुलाती है। हिरणों की कूदफाँद बाघ भी लुभा रहे हैं, खुशबू बाँसमती की दुनिया को भाती है। चूकना न... Hindi · घनाक्षरी 1 345 Share