सतीश मिश्र "अचूक" Tag: कुण्डलिया 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सतीश मिश्र "अचूक" 11 May 2022 · 1 min read सूरज का ताप काफी बढ़ता जा रहा, है सूरज का ताप। जाता है जो धूप में, फौरन जाता हॉफ। फौरन जाता हॉफ, दोष देता है रवि को। होता है सन्ताप, ताप चढ़ता है... Hindi · कुण्डलिया 2 1 481 Share सतीश मिश्र "अचूक" 24 Aug 2021 · 1 min read प्रेमचंद्र जी प्रेमचंद जी ने लिखा सबका प्रिय 'गोदान'। दीन दुखी का दर्द लिख दीना उचित निदान। दीना उचित निदान कहानी स्वयं बोलतीं। भाषा सरल भाव भी सबके सहज तौलतीं। खड़ा 'दरोगा... Hindi · कुण्डलिया 1 1 493 Share