Poetry By Satendra Tag: ग़ज़ल/गीतिका 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Poetry By Satendra 24 May 2022 · 1 min read होती शाम .... होती एक शाम सुहानी सी ,मस्तानी सी, दीवानी सी बन जाती जब तुम महबूबा ,न रहती आज सखानी सी पहन के आती सूट वही ,जो दिया था मैंने तोहफे मे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 215 Share Poetry By Satendra 9 May 2022 · 1 min read मैं और मेरी दशा क्या बता दूँ मैं तुम्हें , एक जरा सी आश मे हू खो गया खुद मे कहीं ,मुकुर की तलाश में हूँ नकाबों का दौर है ये , झूठ ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 104 Share