कवि संजय कौशाम्बी 329 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कवि संजय कौशाम्बी 3 May 2020 · 2 min read क्या दिन थे वो... क्या दिन थे वो जब हम घर से बाहर जाया करते थे चाट,पकौड़ी और बतासे जमकर खाया करते थे दूकानों पर छनी जलेबी और समोसे चले गए छोले-भटूरे,इडली-विडली,डोसे-वोसे चले गए... Hindi · कविता 1 1 753 Share कवि संजय कौशाम्बी 16 Apr 2020 · 1 min read रास्ता मंजिल के जैसा लग रहा है बड़ा खामोश है गाफिल के जैसा लग रहा है अमां मझधार भी साहिल के जैसा लग रहा है हकीकत सामने बैठी है पर खामोश हैं लब यहाँ हर आदमी बुजदिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 473 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारी बहुत याद आती है तुम्हारी बहुत याद आती है ----------------------------- जब भी सूरज निकलता है पक्षी चहचहाते हैं भोर की लालिमा में हवा के झकोरों से फसलें लहराती हैं सच बताऊँ! तुम्हारी बहुत याद... Hindi · कविता 1 599 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read उदास सी क्यों है किसी अनजानी सी आहट की तलाश सी क्यों है मेरे घर की ओर जाने वाली गली उदास सी क्यों है हुए रुसवा दूरियाँ बढ़ती रही बिछड़ कर मुझसे वो अब... Hindi · कविता 1 779 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read मुक्ति दे दो मुझे तुम्हारा बिछड़ना यकीनन दुखदाई था यूँ लगा जैसे आकाश की तिजोरी से लुट गया हो चाँद,सूरज और सितारों का साम्राज्य यूँ लगा जैसे खो गई हो कस्तूरी मृग के शरीर... Hindi · कविता 1 435 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read पुरानी तस्वीरें खुद को पहचानने की कोशिश कल और आज का बदलाव अतीत में डूब जाने की उत्कंठा जाने क्या कारण है नहीं पता मुझे किन्तु फिर भी पुरानी तस्वीरें देखना अच्छा... Hindi · कविता 1 742 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read दो पेड़ लगाऊँ कैसे प्रकृति की देवी कुपित है मैं मनाऊँ कैसे जल रही दुनिया प्रदूषण से बचाऊँ कैसे कट रहे जंगल और सूख रहे हैं सागर अब बताओ तो मानसून मैं लाऊँ कैसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 393 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 2 min read शब्दों को मुस्कुराते हुए एक दिन मैं हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से बुन रहा था शब्दों के जाल ताकि उनमे अपने जज्बातों को पिरोकर लिख सकूँ कोई भावयुक्त कविता किन्तु जैसे ही मैं लिखता... Hindi · कविता 1 600 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read नमन करता हूँ मैं नमन नम नैन करते हैं शहीदों की जवानी को नमन करता हूँ मैं सूखे हुए आँखों के पानी को बड़ा ही लाडला था,माँ की वो आँखों का तारा था था... Hindi · गीत 1 676 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read वक़्त के आगे भाग युवा तज नींद को अब तू जाग युवा अपने अधिकार को मांग युवा जीवन में कुछ करना है तो वक़्त के आगे भाग युवा सागर की लहर को मोड़ दे तू... Hindi · कविता 2 554 Share कवि संजय कौशाम्बी 23 Mar 2020 · 1 min read तुम अव्वल दर्जे के मूर्ख हो पता है मुझे अब कुछ दिन तुम यही करोगे मन्दिर,मस्जिद,चर्च,गुरुद्वारे बन्द करने को कहोगे अस्पतालों की पैरवी करोगे ये कोई नई बात नहीं है किन्तु बात वही है इतनी उम्र... Hindi · कविता 1 1 508 Share कवि संजय कौशाम्बी 22 Mar 2020 · 1 min read कर्फ्यू अभी जारी है धन्यवाद देना था उत्सव नहीं मनाना था कोरोना अभी जिंदा है तुम्हें बाहर नहीं आना था भूल गए कोरोना महामारी है घर के अंदर जाओ कर्फ्यू अभी जारी है Hindi · कविता 1 545 Share कवि संजय कौशाम्बी 22 Mar 2020 · 1 min read हम भी गुनहगार हो गये चोरों की हिफाजत में, असरदार हो गए जब से है सुना हम भी ख़बरदार हो गये दिखलाते शराफत तो सजा काटनी थी तय अच्छा हुआ कि हम भी गुनहगार हो... Hindi · मुक्तक 1 492 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जीत के इस हार की जीत के इस हार की किसको जरूरत है टूटते पतवार की किसको जरूरत है प्यार के हथियार से ही जीत लूँगा जंग तीर की तलवार की किसको जरूरत है Hindi · मुक्तक 1 556 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read कमजोरियाँ बैठी सदा.... कमजोरियाँ बैठी सदा सरगोशियाँ करती रहीं बातें हमेशा होश की बेहोशियाँ करती रहीं करते रहे वो बदजुबानी शोरगुल का जोर था फिर भी फ़तह हर जंग को खामोशियाँ करती रहीं Hindi · मुक्तक 621 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read सोरठा छंद सोरठा छंद कब से रहा पुकार,खड़ा शारदे द्वार मैं विनती लो स्वीकार,माँगू तेरा प्यार मैं रख दो हाथ अशीष,माँ वीणापाणि दयाल नतमस्तक मुनि ईश,सब लाये पूजा थाल तेरे चरण पखार,करूँ... Hindi · कविता 1k Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जरूरत क्या है बेवज़ह वक्त़ बदलने की जरूरत क्या है तुझे तूफान में जलने की जरूरत क्या है सजाए बैठा हूँ कमरा ए दिल तुम्हारे लिए आस्तीनों में यूँ पलने की जरूरत क्या... Hindi · मुक्तक 675 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read पिटने-पिटाने से क्या फायदा" लड़की कहती है "पास अपने बिठा लो मुझे साजना कष्ट होंगे जो जीवन में टल जायेंगे ये उदासी क्यों चेहरे पे छायी पिया खुश रहो अब सितारे बदल जायेंगे तन... Hindi · कविता 413 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read ना सखि गरमी पकड़ कलाई देह लगावे सखियन बीच मोहि तड़पावे छोड़े न मोहे घर अंग ना का सखि साजन?न सखि कंगना अंग अंग सखि प्यास बढ़ावै बगिया मा मोरे बौरावै खींच अँचरा... Hindi · कविता 1 548 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read हिंदी में एक कुरआन लिखो भगवान को अब लिख दो खुदा,खुदा को अब भगवान लिखो उर्दू में लिख दो गीता, हिंदी में एक कुरआन लिखो दीपावली पर्व पर मुस्लिम भाई दीप जला लेना हंसी-ख़ुशी से... Hindi · गीत 1 432 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read बिन तेल जलाओ तो जानू बिन ताप प्रताप पहाड़ों के हिम को पिघलाओ तो जानू प्रेम के भाव को त्याग किसी शिशु को बहलाओ तो जानू तन सुन्दर कीमती वस्त्र तो क्या बिन भाव अधूरा... Hindi · मुक्तक 528 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read सड़ना पड़ता है कीमत यूँ ही नही बढ़ती रत्नों को जड़ना पड़ता है सिर पर ताज सजाने को कितनो से लड़ना पड़ता है ऐसे ही नहीं उगता सोना जाकर के देखो खेतों में... Hindi · मुक्तक 341 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read मैं ही फक़त बदनाम था क्या पता मुझको सफ़र मुश्किल था या आसान था बेखुदी में चल रहा था वक्त़ का फरमान था रास्तों से बेवफाई कर सका न मैं कभी इसलिए दी छोड़ मंजिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 382 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read तनि धीर धरो दुख के दिन बीत अतीत भयो मनमीत न नैनन नीर भरो रचना रच दो नव जीवन की दुखते हिय की कुछ पीर हरो मन की दुविधा घटने तक तो सिय... Hindi · कविता 1 1 495 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read तज दे रैन बसेरा आ गयी अन्त समय की बेला,देश हुआ बेगाना उठा ले बन्दे सिर पर अपने,सारा माल खजाना झूठ मूठ के नाते हैं सब,झूठी तेरी काया मोह त्याग दे इस दुनिया का,दुनिया... Hindi · कविता 418 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read कब आओगे राम ◆सरसी/कबीर/सुमंदर छंद [सम मात्रिक]◆ विधान ~[ 27 मात्रा, 16,11 पर यति, चरणान्त में 21,कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत] (1) दिन खेला फिर रात सो गयी जागी चंचल भोर... Hindi · कविता 1 392 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जातियों में बँट गया शहरातियों में बँट गया देहातियों में बँट गया ज़र्रा ज़र्रा मुल्क का आघातियों में बँट गया कैसे तरक्की पाएगा इंसान जो कि चुनाव में धर्म में कभी बँट गया कभी... Hindi · मुक्तक 349 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read तुम नजर आए तुम इस तरह मेरे वजूद में उतर आए देखा आईने में खुद को तो तुम नजर आए भुला दिया तुमने मुझको एक पल में मगर तुम जो बिछड़े तो मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 787 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read कविता दिवस पर ....कवि ऐसे ही होते हैं उड़ जाती है नींद आँख से दिन का चैन भी खोते हैं समझ सके न जिनको दुनिया कवि ऐसे ही होते हैं रूहों की बस्ती में जाकर उनकी गाथा गाते... Hindi · कविता 479 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read खत को पढ़ा नहीं चेहरे पे लगाने को मुखौटा गढ़ा नहीं शायद इसीलिए मेरा रुतबा बढ़ा नहीं कागज पे रख दिया था मैने दिल निकालकर पर तुमने कभी खोल के खत को पढ़ा नहीं Hindi · मुक्तक 1 344 Share Page 1 Next