sampurna nand dubey 3 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid sampurna nand dubey 25 Jan 2018 · 1 min read अहिंसा क्या कहा आज से हम गाँधी बन जायें? सद्भावना और सौम्यता की आँधी बन जायें? अरे! गीध के खाने भर जिसका माँस नहीं था आज जिया कल का कोई आस... Hindi · कविता 612 Share sampurna nand dubey 23 Jan 2018 · 1 min read निरुत्तरित प्रश्न धरती पर अत्याचार बढा मानवता शर्मिन्दा क्यों हैै हर वर्ष जला फिर भी रावण जलकर आखिर जिन्दा क्यों हैं दामिनी दमित क्यों होती है, भामिनी कांपती राहों में कामिनी तोड़... Hindi · कविता 2 1 583 Share sampurna nand dubey 22 Jan 2018 · 1 min read अरूणिमा अरूणिम अरूणिमा पर काले घन बन छाये रूकी नहीं आभा वह दूर तक बिखरा गयी निशा काली-काली भी नहीं कुछ बिगाड़ पायी माता की सुपूती नया रंग निखरा गयी काल... Hindi · कविता 586 Share