Shyam Hardaha Tag: कविता 23 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Shyam Hardaha 30 May 2021 · 1 min read आपदा में अवसर का खेल आराध्य ने अपने भक्तों को- आपदा में अवसर ढूंढने का मंतर दिया. भक्त जल्द समझ गए बाकी सब खिजियाते रह गए भक्त-जो पहले ‘चौकीदार’ थे वे सब अब ‘अवसरवादी’ हो... Hindi · कविता 1 304 Share Shyam Hardaha 31 Jul 2020 · 8 min read लार्ड मैकाले : एक दूसरा किंतु क्रांतिकारी पहलू अभी तक आपने लार्ड थॉमस बैबिंग्टन मैकाले(25 अक्टूबर 1800-28 दिसंबर 1859) को भारत में ‘नौकर बनाने वाला कारखाना’ खोलने वाले के तौर पर जाना जाता है. हमें अब तक उनके... Hindi · कविता 5 3 302 Share Shyam Hardaha 15 Nov 2019 · 1 min read दोगली सोच जब वे कथित ‘जातिवाद’ से हो रहे थे लाभान्वित या होते रहे तो ‘जातिवाद’ सही है कहते रहे- यह तो हमारी परंपरा है शास्त्रोक्त है, यह तो- हमारी तहजीब है... Hindi · कविता 10 1 444 Share Shyam Hardaha 15 Nov 2019 · 1 min read मरखंडे बात है 35 साल पहले की. ‘कोसी’ और ‘लाली’ हमारे घर थीं इन नामों की गाएं. बचपन में जिनका खूब दूध पिया ऊर्जा पाकर उछला-कूदा. ‘कोसी’ थी सीधी और सफेद... Hindi · कविता 5 473 Share Shyam Hardaha 15 Nov 2019 · 1 min read जवाब दें भागवत फिर हुआ नागपुर के पास कुही तहसील के मांगली गांव में वाहशियाना व्यवहार दरिंदों ने लूटा-पीटा और एक आदिवासी नाबालिग बाला से किया बलात्कार. यह घटना- नारी की स्वतंत्रता पर... Hindi · कविता 4 229 Share Shyam Hardaha 15 Nov 2019 · 1 min read बस में सवार... हर रोज आफिस आते-जाते मैं बस में सवार ‘मन’ विचार तरंगों पर सवार खिड़की की कांच में सर टिकाए अपने आप में खोकर कविता तलाशने बुनने लगता हूं शब्द खोजता... Hindi · कविता 6 1 234 Share Shyam Hardaha 14 Nov 2019 · 1 min read गुनगुनी धूप में दोपहर में भोजन उदरस्थ कर जम जाता था कुर्सी पर थपाक; रिमोट लेकर टीवी को नचाने कुछ सार्थक तलाशने यह मेरा नित्यक्रम था. कि एक दिन श्रीमती ने कहा- ये... Hindi · कविता 7 1 285 Share Shyam Hardaha 13 Nov 2019 · 1 min read जनतंत्र को ग्रहण ‘जनतंत्र/संविधान अगर सूर्य हैं तो उसकी रश्मियां हैं- स्वतंत्रता-समता-बंधुता-न्याय. फिर भी देश में चहुंओर फैला है तम अनाचार, भ्रष्टाचार बलात्कार, तमाम अपराधों का मचा है कोहराम लोग अपने आप में... Hindi · कविता 6 466 Share Shyam Hardaha 13 Nov 2019 · 1 min read आदमी साधन-संपन्न शक्ति-सामर्थ्य रखते हुए भी हंस चाल छोड़ व बगुला भगत बन रहा है आदमी ‘सत्य’ की चाह रखते हुए भी ‘असत्य’ से घबराकर ‘शेर चाल’ छोड़ गीदड़ की तरह... Hindi · कविता 5 266 Share Shyam Hardaha 13 Nov 2019 · 1 min read घरेलू हिंसा मैं बस से उतर कर जा रहा था घर कि राह में मिली श्रीमतीजी उदास-गमगीन चेहरा लिए मलीन जा रही थी एसटी बूथ फोन करने इंदोरा चौक मेरे घर यानी... Hindi · कविता 5 406 Share Shyam Hardaha 13 Nov 2019 · 1 min read भागवत को जवाब दिल्ली बलात्कार कांड की आड़ पर संघ प्रमुख भागवत ने बघारा अपना संस्कृति-ज्ञान ‘इंडिया बनाम भारत’ अर्थात ‘भारतीय बनाम पाश्चात्य’ संस्कृति का अलापा राग कहा-‘भारत में नहीं इंडिया में होते... Hindi · कविता 4 1 716 Share Shyam Hardaha 12 Nov 2019 · 1 min read मानवता के रक्षक सड़क किनारे एक तिमंजिला निमार्णाधीन मकान- उसी से सटकर सड़क की ओर बांस-चटाई से बनी छोटी सी झोपड़ी. इसी में रह रहा है तीन सदस्यीय गरीब सुखी परिवार. पति-पत्नी और... Hindi · कविता 4 3 283 Share Shyam Hardaha 12 Nov 2019 · 1 min read किताबें होती हैं निर्जीव किंतु अपने अंदर अनगिन जीवन स्पंदित करती हैं किताबें. ताउम्र जो ज्ञान न हो पाए उसे घंटों में दे जाती हैं किताबें. एकांत-तन्हा क्षणों में भी भीड़-सा... Hindi · कविता 3 1 432 Share Shyam Hardaha 12 Nov 2019 · 1 min read वे दो लड़कियां चिड़ियों-सी फुदकती, चहकती स्कूटी पर सवार जींस पहनकर जा रही थीं दो लड़कियां. देख मेरा मन प्रमुदित हुआ; एक वह जमाना था- जब लड़कियां इस उम्र में थामी होतीं मां... Hindi · कविता 5 252 Share Shyam Hardaha 12 Nov 2019 · 1 min read यह भी भ्रष्टाचार देवालय पहुंचकर ड्यौढ़ी पर झुककर घंटा बजाकर नैवेद्य चढ़ाकर अपने आप में सिमटकर आंखें बंद कर मुंह से बुदबुदा कर मंदिर में विराजी मूर्ति से सिर्फ अपने लिए- दूसरों से... Hindi · कविता 4 428 Share Shyam Hardaha 12 Nov 2019 · 1 min read सामंती व्यवहार नहीं रहे राजे-महाराजे न बचे अब कोई सामंत लेकिन जन-गण-मन में छोड़ गए वे सामंती प्रपंच हर कोई है इसका शिकारी और शिकार अर्थात सबकी चाहत- ‘दूसरे पर हो अपना... Hindi · कविता 3 425 Share Shyam Hardaha 6 Oct 2019 · 1 min read क्या कहें उन्हें? क्या कहें उन्हें जो जर्जर-संस्कृति के बोझ तले दबे हैं गर कोई उठाना चाहता है उन्हें इस बोझ के तले से उन्हें ये बंधु अपना दुश्मन संस्कृति-विरोधी मान बैठते हैं.... Hindi · कविता 8 568 Share Shyam Hardaha 22 Sep 2019 · 3 min read डोंडियाखेड़ा (आपको याद होगा कि अक्टूबर 2013 में शोभन सरकार नामक एक साधु को सपना आया कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौड़ियाखेड़ा गांव स्थित राजा राव राम बख्श सिंह... Hindi · कविता 11 4 292 Share Shyam Hardaha 21 Sep 2019 · 1 min read एकांगी आधुनिकता जब मैं पहनता हूं कोई जींस/टीशर्ट तो सभी कहते/पूछते हैं अरे भाई वाह!! मस्त लग रही है, कहां से खरीदी है/सिलाई है? लेकिन जब मैं पढ़ता हूं कोई- नई/डॉयनामिक किताब... Hindi · कविता 8 2 294 Share Shyam Hardaha 2 Sep 2019 · 1 min read इनकी भी सुनें खिलते गुलाब की खिलखिलाहट उनकी मनमोहनी मुस्कुराहट उनकी पंखुुड़ियों की नरमाहट और खुशबू- कितनी संवेदी और आनंददायक है सहेजो- समेटो जी-भरकर समेटो ऐसी कोमल संवेदनाओं और आनंददायी अनुभूतियों को लेकिन... Hindi · कविता 4 363 Share Shyam Hardaha 2 Sep 2019 · 1 min read इसे क्या कहें फेसबुक इंटरनेट आईपैड मोबाइल विचार-भाव संप्रेषण के यंत्र नित-नए-नूतन हैं पर इसे क्या कहें लोगों के विचार वही जड़ मंथर दकियानूसी चिर-पुरातन हैं Hindi · कविता 3 1 464 Share Shyam Hardaha 2 Sep 2019 · 1 min read स्त्री का घोषणा पत्र-2 स्त्री अब अपने अस्तित्व की खुलकर कर दे घोषणा- नहीं करेगी अब पुरुष की गुलामी नहीं बनेगी अब उसकी प्रतिच्छाया वह कर दे उद्घोष- कि वह है पुरुष से भिन्न... Hindi · कविता 4 1 347 Share Shyam Hardaha 2 Sep 2019 · 1 min read स्त्री का घोषणा पत्र-1 पहले- मैं चारदीवारी में कैद थी पर अब- धरती के किसी भी हिस्से पर खड़े-खड़े, दूर-दूर तक दिक् और काल तक मैं देख सकती हूं-सुन सकती हूं आह्लादित हो सकती... 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