Basant Malekar Tag: ग़ज़ल/गीतिका 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Basant Malekar 14 Feb 2017 · 1 min read किस के लिए गुहार #सफरनामा ज़रा सा हमपे इनायत कीजिये, दो चार इधर भी दान में दीजिये। हाथ जोड़े बैठे है घुटने के बल पे, ज़रा गरीब की भी तो सुन लीजिये। ख़ुदा तुमपे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 274 Share Basant Malekar 11 Feb 2017 · 1 min read "बिछीये" की भी दुरी, नही होती #सफ़रनामा ग़र "मजबूरी" नही होती, "बिछीये" की भी दुरी, नही होती बहती "प्यार" की धारा में "प्यास" अधूरी, नही होती अधरों से अधर मिल जाते "घूंघट" तुम्हारी, नही होती तुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 258 Share Basant Malekar 8 Feb 2017 · 1 min read फरवरी_में_स्त्री_मन #सफ़रनामा जनवरी बीती, फ़रवरी का लुफ़्त उठाये। चलो ग़ुलाबी ठंड में कहीँ वीकेंड मनाये। तुम मैं, अंगीठी और गरम चाय की प्याली। क्यूँ ना फ़िर हाँथो में ले हाँथ चुस्की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 472 Share Basant Malekar 5 Feb 2017 · 1 min read दिल कहे, 'आना-जाना' चाहिए, रोज़ रोज़, 'नया बहाना' चाहिए। #सफ़रनामा दिल कहे, 'आना-जाना' चाहिए, रोज़ रोज़, 'नया बहाना' चाहिए। दीदार को, उस रेशमी मुखड़े का अचूक, 'नज़र-ऐ-निशाना' चाहिए। एक से बचे दूजे गस खाके गिरें, नज़र भी हमें 'क़ातिलाना'... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share Basant Malekar 4 Feb 2017 · 1 min read मैं जो रूठा, वो भी रूठ गए ख्वाब नाजुक थे, टूट गए..... लो नींद से हम, उठ गए...... फिरा करते थे “गुल” के इर्द गिर्द वो गलियाँ अब, हमसे छुट गए..... नज़रे मिले, मुस्करा भी दिये हमदर्दी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 269 Share Basant Malekar 2 Feb 2017 · 1 min read शराफ़त के परदे मे नज़रें सयानी हो गई #सफ़रनामा शराफ़त के परदे मे नज़रें सयानी हो गई। इश्क़ की दौरे मे जिस्म दरमियानी हो गई। दुनिया क्या क्या कहती है मुझे फिक्र कहा फूल सूरजमुखी अब मेरी रात... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 206 Share Basant Malekar 1 Feb 2017 · 1 min read देख ख़ुद को, कमियों की बात कर, हो रही जो, गलतियों की बात कर #सफ़रनामा देख ख़ुद को, कमियों की बात कर हो रही जो, गलतियों की बात कर। गिर के होगा अंदाज़ा, गहराइयों का बंदिशें तोड़ने, पाबंदियों की बात कर। ना डर, मिलने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 398 Share Basant Malekar 31 Jan 2017 · 1 min read दिन ख़ामोश, रातें मुखर होती है, साथ उनके, ठंड बेअसर होती है #सफ़रनामा दिन ख़ामोश, रातें मुखर होती है साथ उनके, ठंड बेअसर होती है। नज़र मिलाके, बहुत कुछ है कहना मग़र बातें, इधर उधर की होती है। कहाँ दरमियाँ, सिर्फ छुअन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 422 Share