Rituraj Srivastava Tag: बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Rituraj Srivastava 10 Jan 2017 · 1 min read बेटी आज मैंने देखा है- एक कली मुरझाई सी कैद स्वर्ण पिंजरे में थोड़ी क्षुब्ध थोड़ी शरमाई सी। आज मैंने देखा है- अंजन भरे लोचन से स्वप्नाश्रु झरते हैं अधरों पर... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 584 Share