Ran Bahadur Singh Chauhan Tag: कविता 9 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Ran Bahadur Singh Chauhan 2 Nov 2021 · 2 min read संसारिक और मौलिक जीवन की विधिताः आम सामाजिक जीवन चलाकर, संसारिक मौलिक व्रत्ति में रहते। ऊच-नींच भाव समझ नहीं पाते, कारण औचित्य बिन कार्य रहे करते। एक तरह के रंग रुप दिखाकर, स्वाभाविक कृति आम जैसी... Hindi · कविता 422 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 20 Oct 2021 · 1 min read वाणी और द्रश्य से जीवन का संचालनः--- वाणी अदा में रही कितनी नजाकत, स्वर अपनी नजरों में ब्यभिचार दिखाते। द्रष्टि में कितना रहा आत्मिक आकर्षण, स्वर की आव्रति गुलजार खुद बनाती रही। तन के आवर्धन में कितना... Hindi · कविता 219 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 15 Oct 2021 · 2 min read "प्रकृति में मानव जीवन की समदर्शिता" कैसा जीवन है संसारिक मानव का, वह भटककर ताजमहल बन रहता। कारण औचित्य जिसको कुछ जानता नहीं भीड़ में चलकर जीवन चलाता रहता। जिस रचनाकार ने ऐसी विभा बनायी है,... Hindi · कविता 236 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 8 Oct 2021 · 1 min read "आम भारतीय जीवन संस्कृति" जीवन की अकेली ताकत है मन, जो इच्छाओं का परम पिता रहता। संसारिक,अंतर्विधा,ब्रह्मभाव,रहते, इच्छा की विधा हेतु उक्त में अपनाते " आंतरिक विकार भावजबमानव में आते उक्त विधाएं अपनी संस्कृति... Hindi · कविता 380 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 5 Oct 2021 · 2 min read ब्यापक मौलिक सोंचों में असीमताः ब्यापक मौलिक सोंचों में असीमताः ------------------------------------------ जीवन की सत्यता अमोघ अस्त्र शस्त्र है, रखती खुद है विचारों में द्रष्टता गहराई। असीम ताकत भरी होती है सत्यता में, स्वर्ग को पृथ्वी-स्वर्ग... Hindi · कविता 204 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 2 Oct 2021 · 2 min read "जीवन संचालन की विधिता" जीवन संचालन की विधिता ----------------------------------- जिस परिवेश में जो रहा दिखता, भाव संस्कृति उसकी उसमें दिखती। भाव विचारों की मौलिक संस्कृति, ज्ञान विधा से कुछ समझ नहीं आता। अच्छीे और... Hindi · कविता 1 425 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 1 Oct 2021 · 2 min read "आम जीवन की स्वाभाविक संस्कृति" संसारिक विधा में जो होता लाभ हानि, आम जीवन संस्करण में चलता रहता। जीवन के दुख-सुख भावों में आकर, धन-दौलत नारी भोग विधि समा जाता। अब तक जितना जीवन चला... Hindi · कविता 354 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 30 Sep 2021 · 1 min read "आम जीवन की संचालित क्रति" मौलिक संसारिक की अल्पज्ञता, कोई चमत्कार-द्रढ़ पौराणिक करता है। सोंच की लाभ-हानि जिसकी जैसै होती, कारण औचित्य बिन वैसे जीवन रहता है। टूटे फाटे घर परिवार मिट्टी जंगल जैसे, उनकी... Hindi · कविता 1 1 462 Share Ran Bahadur Singh Chauhan 25 Jul 2021 · 29 min read प्रेरणा ( कविताएँ 1 से 25 ) 1-मौलिक धरा पर-प्रकृति, जल,वायु,सूर्य,मिट्टि का ------------------------------------------ इस संसार की मौलिक धरा पर, सूरज,जल,वायु,मिट्टी,सौर्यका। प्रकृति हो जाती मौलिक विधा में, नदी-पर्वत बनते आवर्तिक झल्लिका। जब भी कल्पना सजीवित होती, द्रश्य उतार-चढ़ाव... Hindi · कविता 563 Share