Rajendra sao 4 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Rajendra sao 9 Dec 2017 · 1 min read मातमी पैगाम आया सरहदों से आज फिर मातमी पैगाम आया सरहदों से आज फिर भर गयी आखें हमारी आसुओं से आज फिर टुटकर बिखरे हुए अरमान सारे देख लो माँ की लाठी खो गयी साजिसों से आज... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 189 Share Rajendra sao 3 Dec 2017 · 1 min read धन ही चारो धाम है.. धन हुआ सब कुछ यहाँ ..धन ही चारो धाम हैं प्यार धन से यार धन से..और धन घनश्याम हैं सब मशीनी हो गया.... अब नाम का इंसान है जीतते रावण... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 387 Share Rajendra sao 8 Apr 2017 · 1 min read मेरा कैसा ये भारत है अमन कायम रहे कैसे यहाँ जब तक सियासत है कि दौलत पास है जिसके उसी की ये अदालत है ये जनता है बहुत भारी हाथी की तरह फिर भी जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 202 Share Rajendra sao 8 Apr 2017 · 1 min read कभी माँ बनके मुझे प्यार दिया कभी माँ बन के मुझे प्यार दिया कभी बेटी बन सत्कार किया नन्ही .. मुन्ही ..गुड़ीया ..बनकर कभी खुशीयाँ हमें अपार दिया कभी बहन बनी वो भाई की कभी पत्नी... Hindi · कविता 1 349 Share