बारिश नहीं सबकी सगी बहुतों के चहरे लटकेंगे....
बारिश नहीं सबकी सगी बहुतों के चहरे लटकेंगे, झोंपड़ पट्टी वालों की आँखों से आँसू टपकेंगे। घास-फूस के छप्पर से जब घर में पानी टपकेगा, कुछ सामान समेटेंगे, कुछ भूखे...
“बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका