पुष्पेन्द्र पांचाल Tag: Poem 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid पुष्पेन्द्र पांचाल 18 Jun 2024 · 1 min read ग़ज़ल–मेरा घराना ढूंढता है आज भी वो याद में मेरा घराना ढूंढता है। जो उसे मैंने लिखा वो खत पुराना ढूंढता है। आदमी दो वक्त की रोटी कमाने के लिए ही, ठोकरें खाता हुआ... Poem 1 82 Share