premprakash pancholi 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid premprakash pancholi 6 Dec 2016 · 1 min read गजल कैसे कैसे दौर चले है न्याय मांगने चोर चले है हंसो की झीले हथियाने कुछ कौअे कुछ मोर चले है चीर हरण तक चुप बैठे थे अब लिये जुबानी शोर... Hindi · कविता 220 Share