प्रकाश जुयाल 'मुकेश' Tag: संस्मरण 2 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 22 Feb 2024 · 1 min read सन 1947 से पहले का दृश्य समीर तेरे आने का एक प्रभाव दिख गया । गरज रहे थे कृष्ण घन जो श्वेत कमल सा खिल गया ।।1।। अब बूंद भी बरसे तो शांत चित्तमन सब हो... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · गीत · संस्मरण 1 75 Share प्रकाश जुयाल 'मुकेश' 17 Feb 2024 · 1 min read मैं अलहड सा वक्त दे पाया दुनियां को एक दिन किताबों से निकलकर । सोचा था दुनियाँ खूबसूरत होगी मेरे अलहड से वक्त पर ।।1।। लोग खूबसूरत थे, दिख रहे थे चन्द पैसों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल · शेर · संस्मरण 1 92 Share