Prabuddh Kashyap 1 post Sort by: Latest Likes Views List Grid Prabuddh Kashyap 11 Jan 2021 · 1 min read इक घरोंदा को मैंने बनाया यहाँ ग़ज़ल (गैर मुरद्दफ़) इक घरोंदा को मैंने बनाया यहाँ। मैंने समझा कि मुझको मिला है ज़हाँ। पर हवा जो बही,सब तो ढहते गए। कुछ बचा फिर,यहाँ है न नाम-ओ-निशाँ। देख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 375 Share