Paramita Sarangi Language: Hindi 11 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read ईप्सित कोई 'अवसर' अगर रास्ता नहीं देता है तो तुम मुझे धक्का दे कर आगे निकल जाना किश्तों में अंकुरित हूँ मैं कुछ स्वप्न कुछ उम्मीद इन खिलौनों से आपने आपको... Poetry Writing Challenge 1 75 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read कविता निकम्मा मत बोलो मुझे खुद में ही उलझी हुई हूँ फिर भी , जितना चाहे ,खर्च करलो मुझे शब्द मेरे बात नहीं मानते सँवरने के लिए नाराज कर देते हैं... Poetry Writing Challenge · कविता 1 257 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read आईना- २ हमेशा मेरे शब्दों पर सन्देह किया मेरे शब्दों से तुम्हें गंध आती थी गंगा जल में मैंने मुंह धो लिया साफ़ किया शब्दों को फिर भी तुम नहीं माने बोले,"आख़िरी... Poetry Writing Challenge · आईना · तुम · मैं 119 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read वापसी तुम ने बदल कर बिस्तर में डाल दिया था कुछ मुहूर्तों को उनमें से एक को पहन लिया तो बीत गये इंतजार के पल कोशिश तो कितनी की प्यार के... Poetry Writing Challenge · तारीख · वापसी · समाधान 135 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read हौसला सारी हिम्मतों को इकट्ठा कर उठ , मंजिल दूर है तो क्या राह पर रुकना नहीं ए वक्त क्या डराएगा हमें हमने तो अकेलेपन को पी लिया है मदिरा के... Poetry Writing Challenge · मशहूर · मौत · हौसला 148 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read परछाई झुक गई मतलब छोटी हो गई क्या? मेरे अभिमान की उम्र तो हिमालय की आयु से ज्यादा है। व्याकरण के सब नियमों का उल्लंघन कर , कविता लिख रही हूँ... Poetry Writing Challenge · परछाई · समक्ष · समय 1 282 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read "सर्द रात" बर्फ को ओढ कर बैठ गया है बूढ़ा हिमालय रात के ऊपर नींद का बोझ झरोखे के उस तरफ कोहरे की सफेद साड़ी लपेटे अँगड़ाई ले रही है सुबह ये... Poetry Writing Challenge · निरवता · सर्द रात · हिमालय 209 Share Paramita Sarangi 10 Jun 2023 · 1 min read खजुराहो मेरे कंकाल में चिपकी है कविताओं की एक पुरानी पांडुलिपि जिस में मैंने लिखी है वृक्ष के केश में फँसे हुए तारों की कहानी ख्वाब और ख्वाहिशों में लड़खड़ाती वफाओं... Poetry Writing Challenge · इतिहास · खजुराहो · पांडुलिपि 163 Share Paramita Sarangi 21 May 2023 · 1 min read "शेष पृष्ठा "शेष पृष्ठा" पारमिता षड़गीं उस दिन घडी थी पापा के हाथ में और वक्त था मेरे साथ पता नहीं कहाँ.... कैसे गुम गए वो घड़ी... और...वो वक्त कहीं में ठग... Hindi · कविता 228 Share Paramita Sarangi 21 May 2023 · 1 min read खजुराहो शीर्षक" खजुराहो" मेरे कंकाल में चिपकी है कविताओं की एक पुरानी पांडुलिपि जिस में मैंने लिखी है वृक्ष के केश में फँसे हुए तारों की कहानी ख्वाब और ख्वाहिशों में... Hindi · कविता · नारी वाद 217 Share Paramita Sarangi 20 Dec 2020 · 1 min read तन्हा शाम "तन्हा शाम" ये कैसा भुताणु है, जिस से हर सुबह डरी हुई है हर शाम तनहा है सोता देह मेरा इस घर में आत्मा तो दुसरे सहर में है ये... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 14 32 883 Share