पंकज परिंदा Tag: मुक्तक 8 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid पंकज परिंदा 15 Oct 2024 · 1 min read चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू, *किशोर छंद* चलो गगरिया भरने पनघट, ओ बाबू, तन मन डोले पाकर आहट, ओ बाबू, बंधी प्रेम की डोर तेरी साँसों से, यूँ मत खोलो मेरा घूँघट, ओ बाबू..! *पंकज... Hindi · मुक्तक 36 Share पंकज परिंदा 15 Oct 2024 · 1 min read हलधर फांसी, चढ़ना कैसे, बंद करें.?? रास छंद [सम मात्रिक] *विधान - 22 मात्रा, 8,8,6 पर यति, अंत में 112, चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत।* भरी दुपहरी, गर्मी में तन, लाल पड़ा, पर बेचारा, लेकर... Hindi · मुक्तक 37 Share पंकज परिंदा 10 Oct 2024 · 1 min read बिटिया मेरी सोन चिरैया…! ◆ मधुशाला छन्द (रुबाई) ◆ आँगन की वह वृंदा मेरी या लगती कुंदन सोना रश्मि चंद्रमा सी वह दमकत है अद्भुत रूप सलौना स्वर घोलत मकरंद श्रवण में वो लगती... Hindi · मुक्तक 1 37 Share पंकज परिंदा 26 Sep 2024 · 1 min read राधा/किशोर छंद...! हमने सब कर डाला तर्पण, श्री राधे, आज दिखाया उसने दर्पण, श्री राधे, क्षुदा शांत तो करता ऊपर वाला है, तेरा सब कुछ तुझको अर्पण, श्री राधे। पंकज शर्मा परिंदा Hindi · मुक्तक 37 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक गुरू ब्रह्म कौ सार है, रहे वेद बतलाय। खान कबीरा कह गये, गुरु गोविंद कहाय। हर संकट की राह के, बनते खेवनहार। ब्रह्म ज्ञान को पा रहे, जो नित शीश... Hindi · मुक्तक 52 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक यक़ीनन ख़ुदा का सहारा बहुत है। तुम्हें खूबियों से संवारा बहुत है। फ़रिश्तों ने देखा तो सजदा किया तब, लगा खूबसूरत नज़ारा बहुत है। Hindi · मुक्तक 50 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक अब न चिंगारियों को हवा दीजिए। आग नफ़रत की यारो बुझा दीजिए। बैर दिल से मिटाकर रहो साथ सब, जान अपनी वतन पर लुटा दीजिए। Hindi · मुक्तक 56 Share पंकज परिंदा 23 Sep 2024 · 1 min read मुक्तक यकीं कैसे करोगे तुम, मेरा मैं खुद को समझाऊँ, निगाहें भर के देखोगे, जो दिल मैं चीर दिखलाऊँ, जमाना तो हमेशा से, रहा करता बगावत है, समय तू ही बता... Hindi · मुक्तक 63 Share