निर्मला कपिला Tag: कविता 17 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid निर्मला कपिला 20 Jul 2017 · 1 min read खुशी से जिसे था गले से लगाया। गजल । खुशी से जिसे था गले से लगाया उसी ने मुझे दर्द दे कर रुलाया बहे अश्क तो भी सभी से छुपाए धुंएं का तो उनसे बहाना बनाया भले आजमा ले... Hindi · कविता 6 7 911 Share निर्मला कपिला 28 Jul 2016 · 1 min read मिड -डे मील ------ कविता मिड -डे मील पुराने फटे से टाट पर स्कूल के पेड के नीचे बैठे हैं कुछ गरीब बस्ती के बच्चे कपडों के नाम पर पहने हैं बनियान और मैली सी... Hindi · कविता 1 2 1k Share निर्मला कपिला 20 Jul 2016 · 1 min read मैं नेता बनूंगा -- कविता--- हास्य व्यंग मैं नेता बनूंगा एक दिन बेटे से पूछा ;बेटा क्या बनोगे?: कौन सा प्रोफेश्न अपनाओगे,किस राह पर जाओगे वह थोडा हिचकिचाया,फिर मुस्कराया और बोला मैं नेता बनूंगा मैं हुआ हैरान... Hindi · कविता 7 9 21k Share निर्मला कपिला 18 Jul 2016 · 2 min read माँ की संदूकची -----कविता माँ की संदूकची माँ तेरी सीख की संदूकची, कितना कुछ होता था इस मे तेरे आँचल की छाँव की कुछ कतलियाँ ममता से भरी कुछ किरणे दुख दर्द के दिनों... Hindi · कविता 3 877 Share निर्मला कपिला 16 Jul 2016 · 4 min read व्यंग -- बुढापे की चिन्ता समाप्त ये व्यंग 3 /10/10 का है लेकिन इस बार फिर उम्मीद जगी है[ कल सपना जो आया! व्यंग -- बुढापे की चिन्ता समाप्त आज कल मुझे अपने भविष्य की चिन्ता फिर से सताने लगी है। पहले 20 के बाद माँ बाप ने कहा अब जाओ ससुराल। हम... Hindi · कविता 3 3 529 Share निर्मला कपिला 16 Jul 2016 · 12 min read दिल से एक पन्ना------------- संस्मरण दिल से एक पन्ना------------- संस्मरण एक दिन अपनी एमरजेन्सी ड्यूटी पर् थी सुबह से कोई केस नहीं आया था ऐसे मे मैं किताबें पढती रहती या किसी मरीज के रिश्तेदार... Hindi · कविता 1 686 Share निर्मला कपिला 12 Jul 2016 · 1 min read अखिर क्यों---- कविता ये 2010 मे लिखी गयी कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है अखिर क्यों---- ये 2010 मे लिखी गयी कविता आज भी उतनी ही प्रासंगिक है विस्फोटों की भरमार क्यों है दुविधा में सरकार क्यों है आतंकी धडल्ले से आते हैं सोये... Hindi · कविता 4 506 Share निर्मला कपिला 8 Jul 2016 · 1 min read पूर्व पर पश्चिम का लिबास कैसा विरोधाभास ? कविता पूर्व पर पश्चिम का लिबास कैसा विरोधाभास ? श्रद्धा हो गयी लुप्त रह गया केवल् श्राद्ध आभार पर हो गया अधिकार का हक सम्मान पर छा गया अभिमान नाहक्... Hindi · कविता 3 528 Share निर्मला कपिला 8 Jul 2016 · 1 min read क्या होता है बचपन ऐसा कविता मम्मी से सुनी उसके बचपन की कहानी सुन कर हुई बडी हैरानी क्या होता है बचपन ऐसा उड्ती फिरती तितली जैसा मेरे कागज की तितली में तुम ही रंग... Hindi · कविता 3 557 Share निर्मला कपिला 8 Jul 2016 · 1 min read ऎ वरदा ऎ सौभाग्य वती,--- कविता आजादी ऎ वरदा ऎ सौभाग्य वती, तेरे अपने घर मे तेरा व्यपार् तेरा तिरस्कार् तेरी पीडा बड्ती जा रही है. मैं अपनी असमर्थता पर, शर्मसार हूं, लाचार हूं, मैं तेरी... Hindi · कविता 1 2 540 Share निर्मला कपिला 3 Jul 2016 · 1 min read मृ्ग अभिलाशा ---हम विकास की ओर !--कविता [सुबह से पहले काव्य संग्र्ह से ( कविता ) मृ्ग अभिलाशा हम विकास की ओर ! किस मापदंड मे? वास्तविक्ता या पाखन्ड मे ! तृ्ष्णाओं के सम्मोहन मे या प्रकृ्ति के दोहन मे साईँस के अविश्कारों... Hindi · कविता 2 503 Share निर्मला कपिला 3 Jul 2016 · 1 min read बदल जायेगी तकदीर----- कविता बदल जायेगी तकदीर श्रम और आत्म विश्वास हैं ऐसे संकल्प मंजिल पाने के लिये नहीं कोई और विकल्प पौ फटने से पहले का घना अँधेरा फिर लायेगा इक नया सवेरा... Hindi · कविता 1 1k Share निर्मला कपिला 2 Jul 2016 · 1 min read भगत सिंह का क्षोभ---- सुनो मेरी आत्मा की आवाज भगत सिंह का क्षोभ आँखोंसे बहती अश्रुधारा को केसे रोकूं आत्मा से उठती़क्षोभ की ज्वाला को केसे रोकू खून के बदले मिली आजादी की क्यों दुरगति बना डाली है हर... Hindi · कविता 3 357 Share निर्मला कपिला 1 Jul 2016 · 1 min read नारी की फरियाद -- कविता नारी की फरियाद---- निर्मला कपिला1 मैं पाना चाहती हूँ अपना इक घर पाना चाहती हूं प्रेम का निर्झर जहाँ समझी जाऊँ मैं इन्सान जहाँ मेरी भी हो कोई पहचान मगर... Hindi · कविता 1 494 Share निर्मला कपिला 30 Jun 2016 · 1 min read इस दानव को मानव कहलाने दो --- कविता कविता इस दानव को मानव कहलाने दो मेरी तृ्ष्णाओ,मेरी स्पर्धाओ, मुझ से दूर जाओ, अब ना बुलाओ कर रहा, मन मन्थन चेतना मे क्र्न्दन् अन्तरात्मा में स्पन्दन मेरी पीःडा मेरे... Hindi · कविता 422 Share निर्मला कपिला 15 Jun 2016 · 12 min read कहानी -----कसौटी ज़िन्दगी की कसौटी रिश्ते की --कहानी उनकी आँखों से आँसूओं का सैलाब थमने का नाम ही नही ले रहा था।मै उनको रोकना भी नही चाहती थी------- आज उनके दर्द को बह जाने... Hindi · कविता 773 Share निर्मला कपिला 12 Jun 2016 · 1 min read नारी की फरियाद -- कविता नारी की फरियाद----- निर्म्ला कपिला मैं पाना चाहती हूँ अपना इक घर पाना चाहती हूं प्रेम का निर्झर जहाँ समझी जाऊँ मैं इन्सान जहाँ मेरी भी हो कोई पहचान मगर... Hindi · कविता 630 Share