Mukta Tripathi Tag: कविता 12 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mukta Tripathi 22 Oct 2019 · 2 min read विजयादशमी ।।विजय दशमी।। जनकल्याण सिखाता ज्ञान। स्वार्थ सिखाता है अज्ञान। विनय शील का होता नाम। जोर से बोलो जय श्री राम। राम की महिमा अपरंपार। मानव हेतु आदर्श उपहार। मर्यादित जीवन... Hindi · कविता 5 3 439 Share Mukta Tripathi 22 Oct 2019 · 1 min read आलू परांठा ।। आलू परांठा ।। एक पलक झपकने तक में । झट से बंट जाता बचपन में । टिफ़िन में बंधा छिपा परांठा । आलू भरा चटपटा परांठा । पता नहीं... Hindi · कविता 3 1 473 Share Mukta Tripathi 22 Oct 2019 · 1 min read देशज भाषाएँ ।। देशज भाषाएँ ।। पराई, विदेशी भाषाओं की अजब विदेशी ही शान है। एक-एक अकेला अक्षर वैयक्तिकता का गान है। पर हमारी देशज भाषाएँ अनुपम अतुल्य वरदान हैं । इनके... Hindi · कविता 2 328 Share Mukta Tripathi 22 Oct 2019 · 1 min read रस बरसा दो ।। रस बरसा दो ।। वाहेगुरु मेरे आ जाओ। गुरु की वाणी दोहराओ। क्षत-विक्षत धर्म तड़प रहा भाईचारे का शब्द सुनाओ। मेरे राम को कोई बुला दो। रामायण का मर्म... Hindi · कविता 3 2 293 Share Mukta Tripathi 10 Dec 2018 · 1 min read राखी की बधाई ।।राखी की बधाई।। ओस के मोतियों की छलकी गगरिया । ऊषा रानी ओड़ रश्मि चुनरिया। आकाश में अरुणाई भर लाई। शुभ घड़ी, प्यारी बेला है आई। सबको बधाई राखी है... Hindi · कविता 3 332 Share Mukta Tripathi 10 Dec 2018 · 1 min read राखी राखी सुनहरी किरणों की ओड़ चुनरिया। सुंदर रूप प्रकृति ने सजा लिया। केसर के पुष्पों में नदियों के जल से दे छींटे सिंदूरी तिलक तैयार किया। लगा कर अरुण तिलक... Hindi · कविता 2 542 Share Mukta Tripathi 10 Dec 2018 · 1 min read आजादी ।।आजादी।। नज़र लफ्ज़ को जब डराने लगे।। चाबुक का डर फिर सताने लगे ।। तो मत पूछ क्या बनेगा मंज़र ।। संस्कृति को तू करेगा बंजर ।। स्याह अंधेरे फिर... Hindi · कविता 3 1 389 Share Mukta Tripathi 10 Dec 2018 · 1 min read अटल पड़ाव अटल पड़ाव ********* जीवन का था नवीन सर्ग । घर में जैसे उत्सव-पर्व । नई हवाएं-नई फिजाएं । नई उमंग और आशाएं । नए चेहरों से मेल हुआ। दिलों से... Hindi · कविता 2 516 Share Mukta Tripathi 6 Nov 2018 · 1 min read चलो पिता जी चलें उस ओर चलो पिता जी चलें उस ओर।। दूर जहां है धरा का छोर।। संग आप और दोनों हम। भूल जाएं जीवन दुर्दम । स्वप्न देश में रखें कदम। अंगुली की तुम... Hindi · कविता 7 2 320 Share Mukta Tripathi 6 Nov 2018 · 1 min read कविता पीडा से जलते इस तन में । करुणा से तपते इस मन में । ढूंढता जब शब्दों में दर्द। चेतना को भाएं तब अर्थ । तब जन्म लेती है कविता... Hindi · कविता 10 1 572 Share Mukta Tripathi 6 Nov 2018 · 1 min read मिलावट भावुकता में जब शब्द बोले जाते हैं । बिना तराजू तब दिल टटोले जाते हैं । प्रेम के धागे फिर सुलझाए न सुलझते ऐसे ही शरबतों में विष घोले जाते... Hindi · कविता 5 1 477 Share Mukta Tripathi 2 Nov 2018 · 1 min read माँ केवल माँ ।। माँ केवल माँ ।। तपती-भरी दोपहरी में पसीना बहाती । महल नहीं, झोंपड़ी की छाँव देना चाहती। चीथड़े पल्लू से लाल को लू से बचाती । प्यास भूल अपनी,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 52 323 2k Share